वर्क्स कांट्रैक्टर्स से जुडी समस्याओं पर चर्चा हेतु आज फेडरेशन चैंबर के कंस्ट्रक्शन एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर उप समिति की बैठक चैंबर भवन में संपन्न हुई। बैठक में सदस्यों ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले के एग्रीमेंट पर सरकार द्वारा वर्क्स कांट्रैक्टर के हर बिल पर जीएसटी काटा जा रहा है जिसका रिम्बर्स भी नहीं हो रहा है। विभाग द्वारा बालू का माइनिंग चालान निर्गत नहीं करने से हो रही कठिनाईयों पर भी चर्चा की गई। यह कहा गया कि माइनिंग चालान निर्गत नहीं होने से कॉन्ट्रैक्टर्स को अपने बिल में पेनाल्टी देना पड रहा है। सदस्यों ने यह भी बताया कि विभाग में माइनिंग चालान जमा करने के बाद माइनिंग क्लियरेंस मांगा जाता है, जो कि एक कठिन कार्य है। जब सभी माइनिंग चालान ऑनलाइन वेरिफाई हो सकता है तब किल्यरेंस की जरूरत नहीं होनी चाहिए।
सदस्यों ने यह भी अवगत कराया कि प्रधानमंत्री आवास योजना का पूरे झारखण्ड में कार्य चल रहा है। इसमें टेंडर अवार्ड करते समय यह सूचित नहीं किया गया था कि हमें हमारे रनिंग बिल का 40 फीसदी तक ही भुगतान होगा। बाकी 60 फीसदी भुगतान तभी देय होगा जब बेनिफीसीयरी से पेमेंट आयेगा। यह किये गये टेंडर एग्रीमेंट का उल्लंघन है जिसपर विचार करते हुए इसका भुगतान पूर्णरूप से करना चाहिए। जैसा कि एक वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट में होता है। उप समिति चेयरमेन रविराज अग्रवाल एवं अंकुर अनिल ने संयुक्त रूप से टेंडर प्रक्रिया को सरल बनाने की बात कही। यह कहा कि कैरेक्टर सर्टिफिकेट, लिटिगेशन हिस्ट्री, टूल्स एण्ड प्लांट्स, मैनपावर सर्टिफिकेट यह सब बार-बार हर टेंडर में नहीं मांगना चाहिए। टेंडर प्रक्रिया को सेंट्रल गवर्नमंट की एजेंसियों के तर्ज पर करना चाहिए।
बैठक में हुए चर्चाओं के उपरांत यह तय किया गया कि वर्क्स कांट्रैक्टर्स से जुडी सभी समस्याओं के समाधान हेतु शीघ्र ही फेडरेशन चैंबर द्वारा विभागीय वार्ता की जायेगी। बैठक में चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा, उपाध्यक्ष दीनदयाल बरनवाल, महासचिव राहुल मारू, उप समिति चेयरमेन रविराज अग्रवाल, अंकुर अनिल, मंजीत सिंह, संजय शरण उपस्थित थे।