Thursday, May 2, 2024
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वर्ष 2022-23 का बजट प्रतिगामी एवं निराशापूर्ण : बिरंची नारायण

वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने सदन में वर्ष 2022-23 के लिए एक प्रतिगामी एवं निराशाजनक बजट उपस्थापित किया है। यह न तो भविष्य में राज्य के समेकित विकास को परिभाषित करता है और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, समाज कल्याण, अवसंरचना, बिजली, ग्रामीण-शहरी विकास, रोजगार की दिशा में कोई रोडमैप ही प्रस्तुत करता है। सरकार संसाधन संग्रह के मामले में तो फिसड्डी है ही विकास कार्य हेतु विनियोजन में भी पूर्णतः असफल सिद्ध हो रही है। यदि 101101 (एक लाख एक हजार एक सौ एक) करोड़ के इस बजट की मीमांसा की जाय तो स्पष्ट है कि पिछले वर्ष के बजट उपबंधों से किसी वृद्धि का संकेत नहीं है।सामान्य क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र या आर्थिक क्षेत्र किसी में भी उल्लेखनीय आउटकम लक्षित प्रतीत नहीं होता है। राज्य की अपेक्षाओं के आलोच्य में सरकार आर्थिक वित्तीय प्रबंधन में पूर्णतः लचर साबित हो रही है। यही कारण है कि सरकार के प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष की तीन तिमाही में जहां केंद्रीय करों एवं सहायता में हिस्सेदारी मद में 67% का राजस्व प्राप्त हुआ है, वहीं राज्य के स्वकर मद में कुल 45% का ही संसाधन जुटा। दिसंबर, 2021 तक सरकार ने आर्थिक क्षेत्र में 38% सामाजिक में 39% और क्षेत्रों में कुल उपबंध का 30% ही खर्च किया, इसलिए इनके द्वारा बजट उपबंधों में वृद्धि दिखाया जाना छलावा है। वर्ष 2021-22 ही नहीं उसके पूर्व अर्थात वर्ष 2020-21 में भी यह कर राजस्व मात्र 77% करेत्तर राजस्व में 64% और अनुदान मद में 76% ही जुटा पाए थे। अतः जहां झारखंड भारी आर्थिक-वित्तीय उड़ान की आकांक्षा रखता है, संभावनायें भी हैं, वहीं सरकार ने महज बजट उपबंधों में 10% वृद्धि का लॉलीपॉप जनता को दिखा रही है जो इनके कुप्रबंधन का ग्रास बन जाएगा।

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