Sunday, May 5, 2024
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तालिबानी कब्जे से पहले अफगानिस्तान में किए गए थे 18 फिदायीन हमले

अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के ऐलान 24 घंटे बाद संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। बुधवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर तालिबान के कब्जे से पहले सरकार विरोधी तत्वों ने पूरे अफगानिस्तान में बड़े हमले किए थे। हालांकि, ये नहीं बताया गया है कि ये सरकार विरोधी तत्व कौन थे। रिपोर्ट के मुताबिक 16 मई से 31 जुलाई के बीच अफगानिस्तान में 18 फिदायीन हमले हुए थे, इनमें से 16 हमले ऐसे थे जिनमें कार में IED रखकर अफगानी सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया था।

अमेरिका में उठी पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग

अफगानिस्तान के पंजशीर की लड़ाई में तालिबान का साथ देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका में कार्रवाई की मांग उठी है। अमेरिकी सांसद एडम किनजिंगर ने कहा है कि अगर तालिबान की मदद पाकिस्तान कर रहा है तो उसे दी जा रही मदद बंद करनी देनी चाहिए और प्रतिबंध लगा देने चाहिए। अमेरिका के फॉक्स न्यूज चैनल के मुताबिक पंजशीर में पाकिस्तान की स्पेशल फोर्सेज, उनके हेलिकॉप्टर और ड्रोन तालिबान की मदद कर रहे हैं।

ब्रिक्स देशों की बैठक में शामिल होंगे मोदी, अफगानिस्तान पर होगी चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ब्रिक्स देशों के वर्चुअल समिट की अध्यक्षता करेंगे। इस मीटिंग में ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और रूस के साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी-जिनपिंग भी जुड़ेंगे। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक इस बैठक में अफगानिस्तान के हालात और आतंकवाद के खतरे पर भी चर्चा की जाएगी।

अशरफ गनी बोले- लोगों को बचाने के लिए देश छोड़ना जरूरी था

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़कर भागे पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने दूसरी बार सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया है। गनी ने सोशल मीडिया पर बताया कि काबुल छोड़ना उनके जीवन का सबसे मुश्किल फैसला था, लेकिन देश के लोगों को बचाने और बंदूकों को शांत रखने के लिए यह जरूरी था। उन्होंने देश की जनता से माफी भी मांगी।

इधर, अफगानिस्तान के टोलो न्यूज ने दावा किया है कि 15 अगस्त को काबुल छोड़ने से पहले पहले अशरफ गनी और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। टोलो न्यूज ने अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत का एक वीडियो भी जारी किया है।

टोलो न्यूज के पत्रकार लोतफुल्ला नजफिजादा ने ब्लिंकन से सवाल किया- क्या आपने राष्ट्रपति गनी को देश से भागने में मदद की? इस पर ब्लिंकन ने कहा, ‘गनी ने देश छोड़ने से एक रात पहले कहा था कि वे आखिरी सांस तक देश के लिए लड़ने को तैयार हैं।’

गनी ने कहा- जल्द दूंगा काबुल से निकलने की पूरी जानकारी

गनी ने आगे बताया कि काबुल से निकलने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी वे जल्द ही लोगों को देंगे। साथ ही कहा कि मैं और मेरी पत्नी अपनी संपत्ति को लेकर ईमानदार हैं। मैंने अपनी संपत्ति के बारे में सार्वजनिक तौर पर जानकारी भी दी है। उन्होंने कहा है कि वे अपनी और अपने सहयोगियों की संपत्ति की किसी स्वतंत्र या UN की एजेंसी से जांच कराने के लिए तैयार हैं। 15 अगस्त को तालिबान के काबुल में घुसने के बाद मेरे देश छोड़ने के बाद लोगों को इसके बारे में सफाई देना मेरा फर्ज है। गनी ने लिखा कि पैलेस की सुरक्षा कर रहे लोगों की सलाह पर मुझे जाना पड़ा वरना 1990 के गृह युद्ध जैसे हालात बन सकते थे।

तालिबान की तानाशाही, प्रदर्शनकारियों को बताना होगा कि कौन से नारे लगाएंगे

जधानी काबुल समेत पूरे अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। महिला प्रदर्शकारियों को रोकने के लिए तालिबानी कभी गोलियां बरसा रहे हैं तो कभी कोड़े। महिलाओं को बंदूक के बट से भी मारा जा रहा है। महिलाओं की आवाज दबाने के लिए अब तालिबान सरकार के गृह मंत्रालय ने विरोध-प्रदर्शनों को लेकर नए नियम बना दिए हैं। नए नियमों के तहत किसी भी विरोध-प्रदर्शन की जानकारी 24 घंटे पहले देनी होगी। इसके लिए न्याय मंत्रालय से अनुमति लेगी होगी। साथ ही विरोध प्रदर्शन का मकसद, कौनसे नारे लगाएंगे, जगह, समय और प्रदर्शन से जुड़ी हर बात सुरक्षा एजेंसियों को बतानी होगी। ऐसा नहीं करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

तालिबान सरकार को 228 करोड़ रुपए की मदद देगा चीन

तालिबान द्वारा काबुल में अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा के एक दिन बाद चीन ने अफगानिस्तान को 228 करोड़ रुपए (200 मिलियन युआन) की मदद देने की घोषणा की है। चीन इसमें अनाज, कोरोनावायरस के टीके सहित दूसरी राहत सामग्री अफगानिस्तान सरकार को मुहैया कराएगा।

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने आतंकियों वाली अफगान सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि यह व्यवस्था बहाल करने और अराजकता खत्म करने के लिए जरूरी कदम है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा था कि चीन, तालिबान से समझौते की कोशिश में जुटा है, जैसा कि पाकिस्तान भी कर चुका है।

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