कभी नकली मुद्रा की पहचान करना सरल था। महात्मा गांधी की तस्वीर और नोट के कागज की गुणवत्ता ही इसके नकली होने का संकेत देती थी। लेकिन अब नकली नोट बनाने वाले बहुत कुशल हो गए हैं, जिससे असली और नकली नोट के बीच अंतर करना काफी मुश्किल हो गया है। बिहार में इन दिनों 500 रुपये के नकली नोटों की बड़ी संख्या में पहचान हो रही है।
बिहार पुलिस मुख्यालय ने राज्य में नकली नोट के बढ़ते प्रसार को लेकर चेतावनी जारी की है और इस मुद्दे से निपटने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य जनता को नकली नोट की पहचान करने के तरीकों से अवगत कराना है। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को एक पत्र भेजकर नकली नोटों की पहचान और इनके प्रसार को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की है।
नकली मुद्रा के प्रसार का पता पुलिस को एक गलती के कारण चला। तस्करों द्वारा विभिन्न जिलों में फैलाए गए नकली नोटों में एक सामान्य गलती देखी गई। पुलिस मुख्यालय के इंस्पेक्टर जनरल (IG) ने सभी जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों और रेलवे पुलिस अधीक्षकों को एक पत्र जारी किया, जिसमें यह गलती बताई गई है। नकली नोटों में “Resarve Bank of India” लिखा होता है, जबकि सही शब्द “Reserve Bank of India” है।
अब केवल महात्मा गांधी की तस्वीर से नकली नोटों की पहचान नहीं की जा सकती, क्योंकि तस्कर इतने परिष्कृत नोट बना रहे हैं कि असली और नकली के बीच अंतर करना मुश्किल हो गया है। फिर भी, कुछ आसान तरीकों से नकली नोटों की पहचान की जा सकती है। एक तरीका यह है कि नोट की बनावट में थोड़ा अंतर दिखाई दे सकता है। इसके अलावा, नकली नोटों पर छाप की गुणवत्ता हल्की हो सकती है और वह फीकी नजर आ सकती है।