झारखण्ड उच्च न्यायालय ने आज 06ठी जेपीएससी की मेधा सूची को रद्द कर राज्य की हेमन्त सरकार को आईना दिखाने का काम किया है। उक्त बातें आजसू के प्रदेश अध्यक्ष गौतम सिंह ने कही हैं। उन्होंने कहा कि हेमन्त सोरेन जी ने युवाओं के छठी जेपीएससी में व्याप्त अनियमितता के खिलाफ किये जा रहे आंदोलन को राज्य की सत्ता पाने के लिए जरिया बनाया था । अभ्यर्थियों से वादा भी किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो छठी जेपीएससी को रद्द किया जाएगा, परन्तु सत्ता में आते ही अभ्यर्थियों एवं आंदोलनरत युवाओं से वादाखिलाफी कर अनियमिततापूर्ण मेधा सूची प्रकाशित कर नियुक्ति बांटने का काम किया। इस विषय पर हेमन्त सोरेन जी के कथनी एवं करनी में अंतर देख युवाओं ने न्यायालय का शरण लिया और अंततः उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय से राज्य सरकार द्वारा श्रेय लेने की जल्दबाजी में प्रकाशित किये गए मेधा सूची को रद्द कर माननीय मुख्यमंत्री द्वारा युवाओं से किये गए वादाखिलाफी रूपी आईना दिखाने का कार्य किया है।
छठी जेपीएससी परीक्षा से संबंधित न्यायालय में लंबित याचिका के बावजूद हेमन्त सरकार ने मेधा सूची जारी कर एवं आनन फानन में नियुक्ति बांट कर खुद को कटघरे में खड़ा कर लिया था । सरकार के इस असंवेदनशील एवं जल्दबाजी में श्रेय लूटने के फैसले ने अब वैसे युवाओं के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है जो नियुक्ति लेकर अपने अपने कार्यक्षेत्र में कार्यशील थे।
आजसू ने पूर्व में भी मुख्यमंत्री महोदय को अवगत कराया था कि जेपीएससी ने मेधा सूची जारी करने में कई नियमों की अनदेखी की। क्वालीफाइंग मार्क्स को कुल प्राप्तांक पर जोड़ने, पेपर 01 अर्थात भाषा हिंदी और अंग्रेजी के क्वालीफाइंग अंक को कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया जाना विज्ञापन की शर्तों का खुला उल्लंघन था। वहीं आरक्षण के नियमों का पालन भी नही किया गया था।