Wednesday, May 1, 2024
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दिल्ली में छापेमारी को लेकर एससी-एसटी थाने में ईडी के अधिकारियों पर केस

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची स्थित एसटी एससी थाने में ईडी के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करवायी है. सीएम के द्वारा आवेदन की कॉपी रांची के एससी- एसटी थाने में भेज दी गयी है. सूत्रों ने आवेदन मिलने की पुष्टि की है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय के ऑफिसर कपिल राज, देवव्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल समेत अन्य के खिलाफ रांची के एसटी-एससी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है. प्राथमिक में ST-SC(PA) एक्ट की धारा 3(1) (P)(R)(S)(U) लगाई गई है. उनका आरोप है कि वह 27 जनवरी को दिल्ली गए थे और शांतिनिकेतन स्थित 5/01 आवास में रुके थे.

अपने आवेदन में सीएम ने लिखा कि ‘जब मैं 30 जनवरी को रांची लौटा तो मीडिया में आई खबरों से जानकारी मिली कि झारखंड भवन और शांति निकेतन स्थित आवास पर मेरी अनुपस्थिति में प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों ने सर्च ऑपरेशन चलाया था. इसकी वजह से मेरे और मेरे परिवार की छवि धूमिल हुई है. स्थानीय मीडिया में जिस तरह से खबरें चलाई जा रही थी उससे साफ है कि एक आदिवासी को प्रताड़ित करने के लिए भूमिका बनाई गई थी.’

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि बिना किसी नोटिस या मेरी गैरमौजूदगी के दोनों जगहों की तलाशी ली गई. जबकि पूर्व में ही ईडी ने 29 जनवरी से 31 जनवरी के बीच मेरा बयान दर्ज करने के लिए समय मांगा था. सर्च की खबर को नेशनल और लोकल मीडिया में गलत तरीके से प्रसारित कर मेरा तमाशा बनाया गया. इसकी वजह से आम लोगों के बीच मेरी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. मीडिया में यह भी खबर दिखाई गई कि मेरे दिल्ली आवास से एक बीएमडब्ल्यू कार और भारी मात्रा में अवैध कैश बरामद हुआ है. जबकि मैं उस बीएमडब्ल्यू कार का मालिक नहीं हूं.

जिन लोगों ने इस तरह की कार्रवाई की है, वे लोग आदिवासी समाज से जुड़े नहीं हैं. इन अफसरों ने जानबूझकर जनता के बीच मेरी छवि को धूमिल करने की कोशिश की है. मुख्यमंत्री ने FIR में इस बात का भी जिक्र किया है कि ईडी के अफसर मेरे खिलाफ बेबुनियाद और मनगढ़ंत बातों को लेकर क्रिमिनल प्रोसिडिंग चला रहे हैं. मेरे खिलाफ मनगढ़ंत साक्ष्य तैयार किया जा रहा है ताकि मुझे दोषी साबित किया जा सके, जिसमें 7 साल की सजा का प्रावधान है. इसकी वजह से मेरे साथ मेरा परिवार मानसिक रूप से जूझ रहा है. इसलिए ऐसे लोगों के खिलाफ प्राथमिक दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए.

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