Friday, April 26, 2024
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कांग्रेस को महंगाई पर बोलने का नैतिक हक नहीं : दीपक प्रकाश,पेट्रोल डीजल में वैट कम कर जनता को तत्काल राहत दे झारखंड सरकार

झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव जी का पेट्रोल-डीजल पर वैट कम नहीं करने का निर्णय हठधर्मिता का प्रतीक है। साथ ही जनविरोधी और किसान विरोधी भी। कांग्रेस शासित राजस्थान और पंजाब की सरकार ने वैट कम कर जनता को राहत देने का काम किया, फिर झारखंड में आपत्ति क्यों ? झारखंड में पेट्रोल डीजल पर वैट कम नहीं करना झारखंड की जनता के साथ धोखा है।यह बात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम सांसद दीपक प्रकाश ने कही।

उन्होंने कहा कि राज्य के वित्त मंत्री कहते थे कि पहले केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क कम करें फिर झारखंड सरकार देखेगी। अब जब केंद्र सरकार ने कदम बढ़ाया है तो फिर नया नौटंकी। वित्त मंत्री कहते हैं कि झारखंड सरकार का गरीबों को मदद करने का तरीका अलग है। वह तरीका उन्हें सार्वजनिक करनी चाहिए। वैसे भी कांग्रेस और महंगाई का पुराना नाता रहा है। राज्यसभा में महंगाई पर बहस के दौरान दुम दबा कर भागने वाली कांग्रेस को महंगाई पर बोलने का नैतिक हक नहीं है।

श्री प्रकाश ने कहा कि कितनी आश्चर्यजनक और हास्यास्पद बात है कि झारखंड कांग्रेस के नेता राज्य में वैट कम करवाने की बजाय 12 दिसंबर को राजस्थान के जयपुर में महंगाई हटाओ महारैली में भागीदारी को लेकर उत्साहित हैं। अगर झारखंड कांग्रेस वाकई जनता की हितैषी है तो पार्टी के नेताओं को राजस्थान जाने की बजाय झारखंड सरकार से पेट्रोल-डीजल में वैट कटौती करने का दबाव बनाना चाहिए। महंगाई पर झूठा राग अलापने वाली कांग्रेस और जेएमएम का चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो गया है। राज्य में वैट कम नहीं करने से पेट्रोल पंप की बिक्री लगभग 30 प्रतिशत कम हो गई है।

उन्होंने कहा कि पेट्रोल पंप संचालकों ने भी वैट कम नहीं करने पर पंप बंद करने की चेतावनी दी है। झारखंड सरकार को जल्द ही जनदबाव के आगे अपनी जिद छोड़नी होगी।

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए मोदी सरकार के हरसंभव सहायता के बाद भी झारखंड सरकार की तैयारी मुक्कमल नहीं दिखती। पर्याप्त समय मिलने के बावजूद रिम्स के पार्किंग कोविड अस्पताल के नजदीक इंस्टॉल किया गया ऑक्सीजन प्लांट अब भी अधूरा है। तैयार करने का लगभग 6 माह का वक्त मिला परंतु पाइपलाइन कनेक्शन अभी तक नहीं हुआ है। वहीं सदर अस्पताल रांची हो, जमशेदपुर हो, धनबाद हो इन जगहों पर भी इंतजाम नाकाफी दिख रही है। झारखंड सरकार के कुप्रबंधन के कारण टीकाकरण की गति भी राज्य में संतोषजनक नहीं है। वैसे भी कफन बांटने की नीयत वाली सरकार से बेहतर प्रबंधन की उम्मीद बेमानी है। झारखंड सरकार का ध्यान इस प्रकार की आवश्यक चीजों की बजाय किस प्रकार के गैर जरूरी चीजों पर रहता है, यह किसी से छिपा नहीं है।

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