राज्य में मापतौल अधिकारियों की भारी कमी से लाइसेंस रिन्यूअल और मापतौल उपकरणों के सत्यापन में होनेवाली कठिनाईयों की निरंतर आ रही शिकायतों पर आज चैंबर भवन में श्रम उप समिति की बैठक संपन्न हुई। कहा गया कि विभाग में केवल चार इंस्पेक्टर प्रभार में हैं तथा एक विभागीय इंस्पेक्टर को कई जिलों का अतिरिक्त प्रभार है, जिस कारण नवीनीकरण-सत्यापन कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
विभागीय इंस्पेक्टर की अनुपलब्धता और कमी के कारण व्यापारियों को मापतौल के सत्यापन में अनावश्यक रूप से जुर्माना का शिकार होना पडता है, जिसकी विभागीय समीक्षा आवश्यक है।श्रम उप समिति के चेयरमेन प्रमोद सारस्वत ने कहा कि व्यापारियों की सुविधा के लिए जरूरी है कि राज्य के सभी जिलों में एक-एक इंस्पेक्टर की पदस्थापना की जाय ताकि व्यापारी अपनी सुविधानुसार अपने मापतौल लाइसेंस का सत्यापन/नवीनीकरण कार्य करा सकें। जब तक विभाग में इंस्पेक्टर की पदस्थापना नहीं होती, तब तक सत्यापन कार्य के लिए व्यापारियों पर जुर्माना नहीं लगाया जाय।
उन्होंने यह भी सुझाया कि विभागीय इंस्पेक्टरों की पदस्थापना होने तक राज्य के सभी जिलों के विभागीय कार्यालयों के बाहर निरीक्षकों का संपर्क विवरण, उनकी उपलब्धता दिवस का बोर्ड अधिष्ठापित कराया जाय ताकि संबंधित जिले के व्यापारियों को इसकी समुचित जानकारी मिल सके। सूचना के अभाव में व्यापारियों को अनावश्यक कठिनाईयां हो रही हैं।
व्यापारियों की असुविधा को देखते हुए चैंबर के सह सचिव नवजोत अलंग ने विभाग से राज्य के प्रत्येक जिलों में त्रैमासिक रूप से मापतौल का कैंप लगाने की भी बात कही। यह कहा कि मापतौल लाइसेंस के नवीनीकरण की अवधि पांच वर्ष किये जाने से भी काफी हद तक समस्या का समाधान संभव है। कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने कहा कि उपकरणों के सत्यापन और रिन्यूअल हेतु विभाग द्वारा समय समय पर जागरूकता कार्यशाला के आयोजन की भी पहल करनी चाहिए।
चर्चाओं के क्रम में जल्द ही श्रम सचिव और मापतौल नियंत्रक से मिलकर, मामले से अवगत कराने और कार्रवाई कराने की सहमति बनाई गई।बैठक में चैंबर के सह सचिव नवजोत अलंग, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य अमित शर्मा, श्रम उप समिति चेयरमेन प्रमोद सारस्वत, सदस्य अमरचंद बेगानी, किशन अग्रवाल उपस्थित थे। उक्त जानकारी प्रवक्ता सुनिल सरावगी ने दी।