रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिका मंदिर में बलि चढ़े बकरों के बेकार हिस्सों का इस्तेमाल कर बिजली बनाई जाएगी। मंदिर परिसर में इसके लिए एक संयत्र लगाया जाएगा जो एक वर्ष में काम करने लगेगा। भैरवी और दामोदर के संगम पर स्थित रजरप्पा मंदिर देश-विदेश में एक सिद्धपीठ के रूप में ख्यात है। यहां श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर बकरे की बलि चढ़ाते हैं। रोजाना करीब 150 बकरों की बलि होती है।
बलि के बाद बकरों को नदी के किनारे ले जाकर धुला जाता है। इस प्रक्रिया में मंदिर से नदी के रास्ते खून बिखर जाता है जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी भी होती है।
क्या कहा उपायुक्त ने
सरकार मंदिर की सुविधाएं विश्वस्तरीय बनाने में जुटी है। इसी के तहत यहां बकरों की बलि, चढ़ने वाले फूलों के प्रबंधन को लेकर नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी है। योजना जल्द जमीन पर होगी। -माधवी मिश्रा, उपायुक्त, रामगढ़
मिथिनेशन प्लांट से बनेगी बिजली
बिजली बनाने के लिए मंदिर परिसर में मिथिनेशन प्लांट लगेगा। एक सेमीऑटोमैटिक स्लॉटर हाउस और अरगबत्ती प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई जाएगी। इन तीनों प्रोजेक्ट पर डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट करीब 72 लाख रुपये खर्च करेगा। नई व्यवस्था में बकरे की बलि के साथ बलि चढ़ाने वाले को एक टोकन दिया जाएगा। अर्द्धस्वचालित स्लॉटर हाउस में बलि के बाद बकरे के बेकार हिस्सों को प्लांट में डालकर रोज 23 किलोवॉट बिजली बनाई जाएगी। इससे मंदिर परिसर में लगी स्ट्रीट लाइट जगमग रहेंगी। प्लांट की क्षमता प्रतिदिन एक टन अपशिष्ट इस्तेमाल करने की होगी। मंदिर से रोज औसतन 900 किलो अपशिष्ट निकलता है।