12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 टेकऑफ के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भयावह हादसे में विमान पूरी तरह जलकर खाक हो गया, और 242 यात्रियों की जान चली गई। परंतु, इसी हादसे के मलबे से निकली एक अद्भुत घटना ने सभी को चौंका दिया – एक श्रीमद्भागवत गीता की प्रति आग की लपटों से पूरी तरह अक्षत निकली।
राख के ढेर में दिव्यता की झलक
रेस्क्यू ऑपरेशन में जब मलबे की छानबीन की जा रही थी, तब एक बैग में रखी गई गीता की किताब पूरी तरह सुरक्षित मिली। किताब पर न जलने के कोई निशान थे, न ही पन्नों पर कोई क्षति।प्रत्यक्षदर्शियों और राहतकर्मियों के अनुसार, “पूरे प्लेन में कुछ भी नहीं बचा – यहां तक कि स्टील के ढांचे भी पिघल गए। लेकिन ये गीता जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने बचा रखी हो।” इस दृश्य ने कई लोगों को भावुक कर दिया और वहां मौजूद लोग ‘हरि ओम’ का जाप करने लगे।
विज्ञान क्या कहता है?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जिस स्थान पर गीता रखी गई थी, वह शायद आग की सीधी पहुंच से बचा रहा हो या बैग किसी तरह सील रहा हो। लेकिन धार्मिक मान्यताओं में यह महज एक संयोग नहीं, बल्कि ईश्वरीय संकेत माना जा रहा है।
लोगों की प्रतिक्रियाएँ
धार्मिक गुरुओं ने कहा – “जब सब कुछ नष्ट हो जाए, तब केवल धर्म और आत्मा की रक्षा होती है। गीता उसका प्रतीक है।”
सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा – “भगवत गीता सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि जीवन की दिशा देने वाला प्रकाश है। हादसे में भी उसका न जलना यह सिद्ध करता है।”
यह घटना सिर्फ एक विमान हादसे की कहानी नहीं, बल्कि आस्था की अद्भुत मिसाल भी है। जहां सब कुछ राख में बदल गया, वहीं श्रीमद्भागवत गीता का सुरक्षित रहना हमें यह सिखाता है कि धर्म, सत्य और ज्ञान की लौ कभी नहीं बुझती। यह घटना उन सभी के लिए प्रेरणा है जो कठिन समय में भी ईश्वर में विश्वास बनाए रखते हैं।