बता दें सत्र 2020-23 का जब नामकन ऑनलाइन माध्यम से हो रहा था तो कुछ छात्र जानकारी प्राप्त करने महाविद्यालय आते थे वैसे छात्रों को महाविद्यालय के गार्ड के द्वारा गेट पर ही कोरोना का नियम बता कर रोक दिया जाता था और कहॉं जाता था कि आपका सब काम यही से हो जाऐगा । छात्राओं का बहला कर एडमिशन से दुगाने पैसा और ओरिजिनल कागजात ले लेते थे और कहते थे कि एडमिशन हो जाएगा । छात्रों को कुछ दिनों बाद बुला कर कॉलेज का आई कार्ड दे दिया जाता था । जिससे छात्रों को लगता था कि एडमिशन हो गया और उसके गुर्प में ऐंड करवा कर ऑनलाइन क्लास भी होती थी ।
कुछ दिनों बाद जब परिक्षा कि तिथि आने पर छात्रों को नाम और रोल न: विश्वविद्यालय लिस्ट पर शो नहीं करता था । तो छात्र कॉलेज आते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उनका एडमिशन नहीं हुआ है , और गार्ड पैसा और डक्योमेट लेकर फ़रार है । ऐसे में छात्र का पैसा और साल के साथ साथ उनका भविष्य ख़तरे में चला गया क्योंकि बिना डक्योमेट के कहीं पर भी नामकरण नहीं कराया जा सकता ।
छात्रों ने जब कॉलेज के प्राचार्य को इस सम्बन्ध में जानकारी दी तो उनका जवाब था की यह कॉलेज के बहार का मामला है इसलिए मुझे कुछ भी नहीं पता है और वो छात्रों को ही दोषी बता रहे हैं जबकि छात्र के पास कॉलेज का आई कार्ड है वो उन्हें भी झूठा बता रहे हैं ।
तब जा कर छात्रों ने सदर थाना में सनहा दर्ज किया उसके अगले दिन कॉलेज में प्रशासन के ओर से एक प्रतिनिधि आऐ उनको भी कॉलेज प्रशासन ने झूठी खबर कह कर वापस कर दिया । छात्रों का कहना है कि कॉलेज प्रशासन कहीं ना कही दोषीयो को बचाने का काम कर रहा और ऐसा में छात्रों का भविष्य बार्बद हो रहा हैं ।
छात्र संघ सचिव रवि अग्रवाल ने कॉलेज प्रशासन से आग्रह किया है कि हम साल तो वापस नहीं ला सकते पर फर्जी एडमिशन की जॉंच होनी चहिऐ और इसके पींछे कौन कौन है उनका पता लगना चहिऐ ताकि आगे से ऐसा कार्य ना हो । कॉलेज के गार्ड एजेंसी से बात कर उसका पता लगा कर छात्रों का डाक्योमेट दिलाया जाऐ जिससे छात्र आने वाले वर्ष में नामांकन करवा लें ये बहुत बड़ी जॉंच कि विषय है इसलिए चुपी साधना कहीं ना कहीं कॉलेज प्रशासन की ओर इशारा करती है ।