कर्नाटक और गुजरात में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के मामलों की पुष्टि के बाद झारखंड भी सतर्क हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि एचएमपीवी पहले से मौजूद वायरस है और अधिकतर मामलों में यह अधिक खतरनाक नहीं होता। हालांकि, इसके प्रति जागरूक और सतर्क रहना आवश्यक है। घबराने की बजाय सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। राज्य के सभी सिविल सर्जनों के साथ स्वास्थ्य विभाग ने बैठक कर इस विषय में चर्चा की और बचाव के लिए गाइडलाइन भी जारी की है।
स्वास्थ्य सचिव अजय कुमार सिंह ने HMPV से निपटने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. मनोज कुमार ने तैयारियों की समीक्षा की और ऐहतियात के तौर पर जांच किट का ऑर्डर दे दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी घबराने की आवश्यकता नहीं है और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइनों के अनुसार तैयारी की जा रही है।
गाइडलाइन में क्या है खास?
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी में बताया गया है कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। सर्दियों के मौसम में इस प्रकार के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। जनता को अनावश्यक घबराने की बजाय निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है:
- भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनें।
- सेनिटाइजर का उपयोग करें और हाथों की सफाई का ध्यान रखें।
- अनावश्यक रूप से भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
- अस्पतालों में अधिक बेड की व्यवस्था और ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
लक्षण और उपचार
माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. पूजा सहाय के अनुसार, एचएमपीवी से संक्रमित होने पर खांसी, सर्दी, बुखार, गले में खराश और कमजोरी जैसे लक्षण हो सकते हैं। आमतौर पर यह संक्रमण 3 से 5 दिनों में ठीक हो जाता है।
स्वास्थ्य विभाग ने एचएमपीवी के प्रति सतर्कता बरतने और आवश्यक उपाय अपनाने की सलाह दी है। सही दिशा में तैयारी और जागरूकता से इस संक्रमण से बचाव संभव है।