Friday, May 3, 2024
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राम मंदिर समेत कई ऐतिहासिक फैसले सुनाने वाले जस्टिस अशोक भूषण हो रहे रिटायर

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि जस्टिस अशोक भूषण अपने जजमेंट के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। जस्टिस अशोक भूषण 4 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में बतौर जस्टिस उनका बुधवार को आखिरी वर्किंग डे था। इस मौके पर फेयरवेल स्पीच में चीफ जस्टिस ने ये बातें कही।

जस्टिस भूषण इलाहाबाद में अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के कारण इलाहाबाद जा रहे हैं और इस कारण वह आखिरी के कुछ दिन कोर्ट अटेंड नहीं कर पाएंगे। जस्टिस भूषण राम मंदिर मामले से लेकर कई अन्य मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए हैं।

चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि हाल ही में जस्टिस भूषण ने सही कहा था कि जज हमेशा अपने जजमेंट के लिए जाने जाते हैं। जजमेंट ही किसी जज को टेस्ट करने का सबसे बेहतर क्राइटेरिया है। जस्टिस अशोक भूषण हमेशा अपने जजमेंट के लिए याद किए जाते रहेंगे। जस्टिस भूषण का सफर बेहतरीन रहा है। उनके जजमेंट में मानवीयता का अप्रोच दिखता है। उनका योगदान सराहनीय है। इस मौके पर खुद जस्टिस भूषण ने कहा कि मुझे इस बात का गर्व है कि मैं सुप्रीम कोर्ट का पार्ट रहा। बार की तारीफ करते हुए भूषण ने कहा कि जो भी जजमेंट होता है उसमें बार का योगदान ज्यादा रहता है।

अटॉर्नी जनरल ने इस मौके पर कहा कि जस्टिस भूषण ने मंगलवार को प्रवासी मजदूरों के वेलफेयर के लिए बेहतरीन फैसला दिया है। ये दुखदाई है कि वह रिटायर हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह ने कहा कि जस्टिस भूषण बेहद सौम्य व्यक्तित्व के धनी हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट की सुनवाई के दौरान हमेशा उनका मुस्कुराता चेहरा याद रहेगा।

जस्टिस अशोख भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के तौर पर कई ऐतिहासिक फैसले दिए। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में पांच जजों ने जो फैसला सुनाया था उसके भी पार्ट रहे थे जस्टिस अशोक भूषण।

शोक भूषण का जन्म 5 जुलाई 1956 को हुआ था। वह यूपी के जौनपुर में पैदा हुए थे। उन्होंने 1975 में ग्रेजुएशन किया और फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 1979 में लॉ किया। इसके बाद 6 अप्रैल 1979 में सिविल लॉ में प्रैक्टिस शुरू की। बाद में उन्हें हाई कोर्ट का जस्टिस बनाया गया। 24 अप्रैल 2001 को स्थायी जज बनाया गया और फिर 10 जुलाई 2014 को केरल हाई कोर्ट का जस्टिस बनाया गया और फिर 26 मार्च 2015 को केरल हाई कोर्ट का ही चीफ जस्टिस बनाया गया। 13 मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया था।

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