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10 जून से फिर लगेगी एनजीटी की रोक,घाटों का टेंडर न होने से खनन बंद

10 जून से फिर लगेगी एनजीटी की रोक,घाटों का टेंडर न होने से खनन बंद

झारखंड में सफेद बालू का काला कारोबार थम नहीं रहा है। 18 हजार का बालू 28 हजार रुपए में बिक रहा है। दरअसल राज्य राज्य के 608 बालू घाटों में से सिर्फ 17 घाटों से ही वैध तरीके से बालू का उठाव हो रहा है। इसलिए ऐसी स्थिति बनी है। रांची सहित राज्य के अधिकतर जिलों में एक भी घाट की बंदोबस्ती न होने से पिछले पांच सालों से बिना टेंडर के ही बालू का खनन और परिवहन हो रहा है। पिछले साल विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने बालू के अवैध कारोबार को लेकर सरकार को घेरा था।

सदन में जमकर हंगामा हुआ था। तब प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख ने तीन माह में सभी बालू घाटों की बंदोबस्ती करने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब तक एक भी घाट की बंदोबस्ती नहीं हुई। अब 10 जून से फिर बालू खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक लग जाएगी। इससे फिर बालू को लेकर बवाल होना तय है। ऐस में लोगों को मुंहमांगी कीमत पर बालू खरीदना होगा। पिछले साल भी किल्लत होने पर बिहार-बंगाल से बालू मंगाना पड़ा था। तब 18 हजार बालू घाटों की बंदोबस्ती से पहले सभी जिलों का डिस्ट्रिक सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) तैयार करना जरूरी था।

इस रिपोर्ट को इनवायरमेंट इंपैक्ट असेस्मेंट कमेटी (सिया) को भेजना था, ताकि पर्यावरण स्वीकृति ली जा सके। पर्यावरण स्वीकृति के बाद ही किसी भी घाट का टेंडर किया जा सकता है। जिले के अधिकारियों ने डीएसआर बनाने में ही देरी कर दी। इस वजह से अभी तक कई जिलों का डीएसआर सिया को नहीं भेजी गई।

रांची जिले के सभी 32 घाटों का डिस्ट्रिक सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करके पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। जिला खनन पदाधिकारी ने अब इस रिपोर्ट पर आम लोगों से आपत्ति-सुझाव मांगा है। मतलब रांची में टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने में अभी तीन से चार माह का समय लगेगा। इसके अलावा गढ़वा, लातेहार सहित कुछ जिलों में डीएसआर तैयार करके सिया से पर्यावरण स्वीकृति लेने के बाद माइंस डेवलपर सह ऑपरेटर (एमडीओ) नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसमें भी एक माह का समय लगेगा।

बालू नहीं मिलने से पीएम आवास योजना से लेकर स्मार्ट सिटी पर पड़ेगा असर

बालू की किल्लत की वजह से रियल इस्टेट सेक्टर तो पहले से प्रभावित है। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी और ग्रामीण के तहत बनने वाले घरों का निर्माण भी धीमा हो गया है। क्योंकि, इस योजना के लाभुकों को 3000 रुपए प्रति टर्बो (140 सीएफटी) में मिलने वाला बालू 4500 रुपए में खरीदना पड़ रहा है। स्मार्ट सिटी की योजनाएं और लाइट हाउस की रफ्तार धीमी पड़ गई है। इसके अलावा शहरों में 200 से अधिक पीसीसी रोड, नाली निर्माण पर भी असर पड़ेगा।

राज्यभर में अवैध बालू का प्रति माह 60 करोड़ का धंधा, नेता-अफसर और माफिया की साठगांठ से चल रहा खेल

रांची सहित राज्यभर में अवैध बालू का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। बालू कारोबारियों के अनुसार राज्यभर में रोजाना 700 से 800 हाईवा अवैध बालू की खरीद-बिक्री होती है। औसतन 28,000 रुपए प्रति हाईवा की दर से बालू की बिक्री होती है तो भी प्रति माह करीब 60 करोड़ रुपए का अवैध धंधा चल रहा है।

नेता, माइनिंग अफसर, पुलिस और बालू माफियाओं के सिंडिकेट से यह धंधा फल-फूल रहा है। इसका खुलासा शनिवार को उस वक्त हुआ जब हाईकोर्ट की सख्ती के बाद छापेमारी हुई। इस दौरान 1.22 लाख घन फीट अवैध बालू और 309 हाईवा, ट्रक व ट्रैक्टर को जब्त किया गया।

17 जिलों में बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू

राज्य के 12 जिले का डिस्ट्रिक्ट सर्वेक्षण रिपोर्ट सिया से स्वीकृत हो गया है। 5 जिले की भी स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है। कुल 17 जिलों में बालू घाटों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पर्यावरण स्वीकृति के बिना बंदोबस्ती संभव नहीं था, इसलिए अभी तक टेंडर नहीं हो पाया। जिन्हें स्टॉकिस्ट लाइसेंस दिया गया है वह बालू का भंडारण करेंगे। उसी बालू की बिक्री होगी। – अमित कुमार

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