भाजपा ने धनबल, सत्ताबल और बाहुबल के दम पर एक और राज्य को अनैतिक ढ़ंग से अपने कब्जे में कर लिया है। महाराष्ट्र में जो हुआ वो भारत जैसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। उक्त बातें महाराष्ट्र के राजनैतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया स्वरूप झारखण्ड काँग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद नें कहीं उन्होंने कहा मोदी-शाह के नेतृत्व में भाजपा किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करना चाहती है। भाजपा वाले चाहते हैं कि या तो सत्ता उनके पास रहे या या कुर्सी की डोर उनके हाथों में हो।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद से भाजपा का ध्यान जनहित के लिए काम करने से ज्यादा राज्यों में सत्ता पर कब्जा करने एवं चुनी हुई सरकारों को गिराने पर रहा है। सत्ता के लिए खरीद-फरोख्त, राज्यपाल एवं विधानसभा अध्यक्षों की शक्तियों का गलत इस्तेमाल तथा ईडी-सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है। अब तो यह आलम है कि केंद्रीय वित्तमंत्री के मुँह से भी सच निकल जाता है। अब वो हॉर्स ट्रेडिंग पर जीएसटी लगाने का सुझाव दे रहीं हैं।
भाजपा सबसे पहले चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाती है। पैसा एवं सत्ता के दुरुपयोग से लेकर ध्रुवीकरण एवं हिंसा को बढ़ावा देती है। इतना करने के बाद भी यदि जनता इन्हें नकार देती है तो चुनी हुई सरकारों को गिराने के लिए षडयंत्र शुरू कर देते हैं।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि वर्ष 2016 में उत्तराखंड में भाजपा ने कुछ इसी तरह कांग्रेस की सरकार गिराई थी। कांग्रेस विधायकों के पार्टी छोड़ने के कारण 5 साल के लिए चुनी हुई सरकार चार साल में ही अल्पमत में आ गई थी। इसी वर्ष अरुणाचल में भी कांग्रेस के 44 में से 43 विधायक मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू के नेतृत्व में दलबदल करते हुए बीजेपी समर्थित फ्रंट पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हो गए थे।
मणिपुर में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी 60 में से 28 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। भाजपा के पास सिर्फ 21 सीटें थी लेकिन कांग्रेस को बहुमत साबित करने का मौका नहीं दिया गया। बिहार में वर्ष 2017 में कुछ ऐसा ही खेल हुआ। बीजेपी ने 20 महीनों तक चले महागठबंधन सरकार को अनैतिक ढ़ंग से गिरा दिया। वर्ष 2019 में कुछ इसी तरह कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिराई गई। वर्ष 2020 के मार्च महीने में जब देश में कोरोना की तबाही आने वाली थी तब मध्यप्रदेश में राजनीतिक षडयंत्र रचा जा रहा था। दुनिया कोरोना की चुनौती से निपटने के लिए तैयारी कर रही थी और बीजेपी सरकार जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को गिराने में व्यस्त थी। वर्ष 2020 में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए गुजरात कांग्रेस के 8 विधायकों को भाजपा ज्वाइन करवाया गया। वर्ष 2021 में पुदुच्चेरी में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। विधानसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी ने राज्य की कांग्रेस सरकार को गिरा दिया।
भाजपा की सत्ता लोलुपता की ऐसी दो और घटनाएं हैं जहां बीजेपी ने धनबल के दम पर अनैतिक ढंग से सरकार बनाने की कोशिश की। पहला – महाराष्ट्र। जहां नवंबर 2019 में जहां आधी रात को एनसीपी के 10 विधायकों के साथ देवेंद्र फडणवीस ने शपथ लिया लेकिन फिर उन्हें सत्ता से हटना पड़ा। दूसरा – राजस्थान, जहां वर्ष 2020 में भाजपा द्वारा कांग्रेस के 19 विधायकों को बरगलाने की कोशिश की, पर यहां उनकी दाल नहीं गली और कांग्रेस सरकार सुरक्षित रूप से राजस्थान की जनता की सेवा कर रही है।
भाजपा लोकतांत्रिक ढ़ंग से चुनी हुई सरकारों को जिस तरह अस्थिर कर रही है उसकी हम कड़ी भर्त्सना एवं निंदा करते हैं। ये न सिर्फ लोकतंत्र का अपमान है बल्कि देवतुल्य जनता का भी अपमान है जो भाजपा की विचारधारा के खिलाफ वोट करते हैं। झारखण्ड भी इससे अछूता नहीं रहा है चाहे वो झारखण्ड के विधायकों को पहले जयपुर ले जाकर सरकार बनाने का मामला हो या झाविमो के चुने हुए विधायकों को रघुवर सरकार में शामिल किए जाने का मामला हो या विगत चार उपचुनावों में बार बार सरकार गिराने का दावा किया जाना ये अलग बात है कि झारखंड के लोगों ने इनके दावों को मतदान से खारिज कर दिया है l