इज़राइल ने 13 जून की सुबह ईरान के खिलाफ एक जबरदस्त एयर स्ट्राइक की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य ईरानी परमाणु कार्यक्रम, मिसाइल ठिकानों और सैन्य नेतृत्व को निशाना बनाना था.
उच्चस्तरीय हत्याएं
हमलों में ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर क्रांतिकारी गार्ड्स के होस्सैन सलामी (IRGC), स्टाफ चीफ मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी, और दो प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए ।
परमाणु स्थलों पर हमला
Natanz (इस्फ़हान), Fordow और अन्य संभावित परीक्षण स्थलों सहित कई परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल केंद्रों पर बमबारी की गई। IAEA ने अभी तक प्रमुख साइटों को बहुत बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं की।
इज़राइल से जवाब
इज़राइली वायु सेना ने इस हमले को पूर्व-सक्रिय रणनीति बताया जिसके तहत लगभग 200 विमानों और कई सौ साइटों को निशाना बनाया गया।
ईरानी बदला
ईरान ने पलटवार में 100 से अधिक ड्रोन हमले की घोषणा की, लेकिन अब तक कोई बड़ी क्षति सामने नहीं आई – इज़राइल ने कई को निशाना बनाया।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
अमेरिका, यूरोपीय देश और संयुक्त राष्ट्र ने तनाव को नियंत्रित करने की अपील की। तेल की कीमतें भी बढ़ गईं, वायुमंडलीय तनाव बढ़ा हुआ है ।
भूमिका और प्रभाव:
कूटनीतिक लड़खड़ाहट: इस हमले से क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ा और इज़राइल-Iran द्विपक्षीय तनाव चरमोत्कर्ष पर पहुंचा।
आर्थिक मंडी प्रभावित: तेल की कीमतों में 5–7% की तेजी आई, जिससे वैश्विक बाजार अस्थिर स्थिति में रहे ।
युद्ध के नियम कैसे कुर्बान: आधुनिक युद्ध के इस निर्णायक मोर्चे से ये सवाल फिर उभर रहे हैं कि क्या “प्राथमिक हड़ताल” रणनीति जोखिम भरी है।
आने वाले पल:
क्या ईरान आगे का बड़ा जवाब देगा, या स्ट्रेटेजिक पैटियंस अपनाएगा?
संयुक्त राष्ट्र की मदद से शांति प्रयासों को गति मिलेगी या द्विपक्षीय तनाव और गहरा जाएगा?
नाभिकीय समझौते की राह कितनी मुश्किल है – क्योंकि संघर्ष अभी जारी है।
यह इज़राइल का सबसे बड़ा एकल हमला है, जिसने दोनों देशों का आपसी तनाव चरम सीमा पर पहुंचा दिया है। आगामी दिनों में क्षेत्रीय शांति अथवा युद्ध, सबका गणित तय होगा।