रांची: झारखंड की राजधानी रांची और रामगढ़ को जोड़ने वाला ओरमांझी टोल प्लाज़ा एक बार फिर विवादों में है। यात्रियों ने आरोप लगाया है कि यहां फास्टैग के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। सक्रिय और बैलेंसयुक्त फास्टैग को ‘ब्लैकलिस्टेड’ बताकर वाहन चालकों से दोगुना शुल्क नकद में वसूला जा रहा है।
यात्रियों के अनुसार, जब वे टोल कर्मियों को अपना सक्रिय फास्टैग दिखाते हैं, तो उन्हें यह कहकर गुमराह किया जाता है कि उनका फास्टैग ब्लैकलिस्ट है। विरोध करने पर वाहन चालकों को दूसरे लेन में भेज दिया जाता है, जहां नया बहाना बना दिया जाता है – जैसे कि “आपके वाहन नंबर से भुगतान नहीं हो सकता”।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान यात्रियों को मानसिक तनाव और समय की बर्बादी झेलनी पड़ती है, और अंततः उन्हें 50 रुपये के स्थान पर 100 रुपये का नकद भुगतान करके टोल पार करना पड़ता है।
क्या यह एक सुनियोजित घोटाला है?
प्रभावित यात्रियों का दावा है कि यह कोई एक-दो बार की घटना नहीं, बल्कि नियमित रूप से चल रही एक संगठित वसूली प्रणाली है। इससे टोल प्लाज़ा की पारदर्शिता और फास्टैग सिस्टम की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
यात्रियों ने टोल प्रशासन और परिवहन विभाग से मांग की है कि इस तरह की धांधली और जबरन वसूली पर तत्काल रोक लगाई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही निगरानी के लिए CCTV फुटेज और फास्टैग रिकॉर्ड की स्वतंत्र जांच की भी मांग की जा रही है।