ट्वीटर पर करोड़ों का खर्च करके मुख्यमंत्री जी भले ही सोशल मीडिया पर अपनी छवि को एक डायनामिक एवं युवा चेहरे के रुप में उभारने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता और खास कर के युवाओं के बीच यह हथकंडा कारगर होते नहीं दिख रहा। बड़े-बड़े वादों के साथ सत्ता में काबिज होने वाली झामुमो महागठबंधन सरकार ने चुनाव के वक़्त युवाओं को कई सपने दिखाए, लेकिन उन वादों के अनुरुप यह सरकार एक कदम भी नहीं चली।
हेमंत सरकार हर मोर्चे पर विफल, छात्रों का भविष्य असुरक्षित
संविधान के शिल्पकार बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि
शिक्षा समाज में मानवता की रक्षा करती है, आजीविका का सहारा बनती है, आदमी को ज्ञान और समानता का पाठ पढाती है। सच्ची शिक्षा समाज में जीवन का सृजन करती है।
बाबा साहेब के नाम पर राजनीति करनेवाली सरकार उनके विचारों और सपनों के ही विपरीत कार्य कर रही है। राज्य की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। हेमंत सरकार झारखण्ड के भविष्य के साथ किस तरह से खिलवाड़ कर रही, ये निम्न बिंदुओं से स्पष्ट हो जाएगा-
झारखण्ड एकेडमिक कॉउन्सिल (जैक) में पिछले चार महीनों से अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का पद रिक्त-
शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो द्वारा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों पदों के लिए नामों की घोषणा किए जाने के बावजूद आज तक नियुक्ति से संबंधित नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। इससे यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री जी एवं मंत्रियों के बीच आपसी सामंजस्य ठीक नहीं। साथ ही इससे यह भी साबित होता है कि शिक्षा को लेकर मुख्यमंत्री कितने असंवदेनशील हैं। ज्ञात हो कि जैक अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने का सीधा प्रभाव 24 लाख छात्रों पर पड़ रहा है।
• सीबीएसई टर्म-2 परीक्षा की तिथि घोषित करने वाली है तो बिहार में प्रैक्टिकल परीक्षा का शेड्यूल जारी, झारखण्ड में परीक्षा कैसे हो इसपर ही हो रही समीक्षा
यह पूरे झारखण्ड राज्य के लिए शर्म की बात है कि जहां एक ओर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मैट्रिक एवं इंटर बोर्ड के टर्म-1 की परीक्षा करा चुकी और दूसरे टर्म का शेड्यूल जारी करने को है तथा हमारे पड़ोसी राज्य में प्रैक्टिकल परीक्षा का शेड्यूल जारी हो चुका, वहीं हमारे झारखण्ड में परीक्षा का प्रारुप कैसा हो तथा कितने टर्म में हो, इसे लेकर अब तक समीक्षा ही की जा रही।
राज्य के 10 जिलों में डीइओ तो 14 में डीएसइ के पद रिक्त
शिक्षा को लेकर राज्य सरकार कितनी गम्भीर है ये इस बात से पता चलता है कि शिक्षा सेवा पदाधिकारियों के आधे से अधिक पद रिक्त हैं। कुल 176 पदों में से मात्र 76 पर ही अधिकारी हैं। यह सरकार वादें तो बहुत करती, लेकिन इनके इरादे सिर्फ और सिर्फ अपने मंत्रियों एवं विधायकों के लिए आलीशान आवास बनाने, खनिजों की तस्करी एवं अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग तक ही सीमित है।
झारखण्ड की बेरोज़गारी दर पिछले पांच साल में सबसे उच्च स्तर पर
सीएमआइइ की रिपोर्ट के अनुसार झारखण्ड की बेरोज़गारी दर पिछले पांच साल में सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गयी है। ज्ञात हो कि झारखण्ड की बेरोज़गारी दर 2018 में 11.6 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 17.3 फीसदी हो गयी है।
एक तरफ राज्य के युवा पलायन को मजबूर हैं। युवाओं का जनादेश लेकर सत्ता में आयी झामुमो महागठबंधन की सरकार ने राज्य के नौजवानों को सड़क पर ला दिया है। नियुक्ति वर्ष के नाम पर बड़े-बड़े वादे किए गए लेकिन हकीकत के धरातल पर तस्वीर बिल्कुल उलट है।