पटना, जून 2025:
बिहार की राजनीति में एक नया चेहरा तेजी से उभर कर सामने आ रहा है — प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने गांव-गांव पदयात्रा और जन संवाद के माध्यम से राज्य की राजनीति में गहरी पकड़ बना ली है। अब जब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं, उनकी लोकप्रियता में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है।
📈 जन सुराज की रणनीति और प्रशांत किशोर की पकड़
प्रशांत किशोर ने पिछले दो वर्षों में जन सुराज पदयात्रा के ज़रिए बिहार के सैकड़ों गांवों का दौरा किया, आम जनता से संवाद स्थापित किया और उनके मुद्दों को प्रमुखता दी। वे न तो पारंपरिक रैली करते हैं, न ही जातिगत राजनीति पर भरोसा करते हैं। उनका फोकस है – “सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार”।
🔥 क्यों बढ़ रही है लोकप्रियता?
- ✔️ जमीनी जुड़ाव: प्रशांत किशोर का हर गांव में पैदल जाना जनता के बीच भरोसे को बढ़ाता है।
- ✔️ राजनीति से अलग छवि: अब तक की राजनीति से अलग सोच और नई भाषा का इस्तेमाल।
- ✔️ नवजवानों और छात्रों में खास प्रभाव: बेरोजगारी और शिक्षा सुधार पर मुखर होने के कारण युवा उन्हें विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
🤝 गठबंधन या अकेले चुनाव?
अब तक प्रशांत किशोर और जन सुराज ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन से इनकार किया है। वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की रणनीति पर कायम हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि कुछ सीटों पर उनकी पार्टी “किंगमेकर” की भूमिका में आ सकती है।
📊 सर्वे और सोशल मीडिया ट्रेंड्स
हाल ही में कई प्री-पोल सर्वे और सोशल मीडिया एनालिटिक्स में जन सुराज पार्टी को बढ़ती हुई समर्थन संख्या मिली है। यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर उनके भाषणों और अभियानों को लाखों व्यूज़ मिल रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले प्रशांत किशोर और जन सुराज पार्टी एक नया राजनीतिक विकल्प बनकर उभर रहे हैं। अगर यह लहर वोटों में बदलती है, तो बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।