गैर मजरूवा भूमि से संबंधित मुद्दे पर आज झारखण्ड चैम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा चैम्बर भवन में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। कहा गया कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट के कारण झारखंड में ऐसे ही उद्योग-व्यापार लगाने में भूमि से संबंधित एक जटिल समस्या हमेशा बनी रहती है उसके बावजूद पूर्व की सरकार ने दिनांक 26.08.2015 को पूरे राज्य में गैर मजरूवा भूमि की रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज रसीद काटना बंद कर दिया था जिस कारण झारखंड में बड़े-बड़े उद्योग-व्यापार को बड़ा झटका लगा था। जो भूमि पट्टा बैंक में मॉर्टगेज था, बैंक द्वारा आदेश पारित कर दिया गया था अब बैंक को दूसरी कॉल लेटर सिक्योरिटी दीजिए नहीं तो आपका लोन बंद कर दिया जाएगा।
लैंड रिफार्म उप समिति के चेयरमैन रमेश कुमार साहू और कार्तिक प्रभात ने संयुक्त रूप से कहा कि दिनांक : 5 मई 2025 को माननीय झारखंड उच्च न्यायालय ने इस रोक को आदेश संख्या 2025JHHC:13251-DB के माध्यम से हटा दिया और झारखंड में रहनेवाले करोड़ों लोगों की जन भावना को सम्मान दिलाया। हम माननीय न्यायालय केआदेश का सम्मान करते हैं किंतु चिंतनीय है कि 20 दिन बीतने के बावजूद अब तक सरकार ने कोई कदम इस पर नहीं उठाया है। चैम्बर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि तत्काल प्रभाव से सभी उपायुक्तों को आदेश जारी किया जाए कि सभी तरह के गैर मजरूआ भूमि की रजिस्ट्री करना, दाखिल-खारिज करना एवं रसीद काटना आरंभ करें। इससे उद्योग व्यापार लगाने में आसानी होगी क्यूंकि रशीद कटने के बाद बैंक से ऋण की आसान उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी। इससे सरकार को भी अनेकों माध्यम से राजस्व की प्राप्ति होगी और विकास की गति बढ़ेगी।
श्री साहू ने कहा कि हम माननीय भू राजस्व मंत्री जी को भी यह स्मरण कराना चाहेंगे कि आपने विधानसभा सत्र के दौरान सदन में यह ब्यान दिया था कि 45 दिनों के अंदर खासमहल भूमि को रेगुलराइज कर दिया जाएगा किंतु लगभग 75 दिन हो गए किंतु अब तक अग्रतर कार्रवाई नहीं हो सकी है। सरकार से आग्रह है कि तत्काल प्रभाव से इस तरह की भूमि को सुचारू रूप से माननीय न्यायालय के निर्णय और सरकार के निर्णय को प्रभावी करें। चैम्बर महासचिव आदित्य मल्होत्रा ने कहा कि इस संबंध में झारखण्ड चैम्बर ऑफ कॉमर्स अपने दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ माननीय भू-राजस्व मंत्री एवं विभागीय सचिव से मुलाकात करेगा। सरकार के स्तर से सकारात्मक निर्णय नहीं आने पर हम ठोस कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे।
ज्ञातव्य है कि इस प्रकार की भूमि सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में है और अनावश्यक रोक के कारण ग्रामीणों के रोजगार और शहर का विकास बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं और यदि इस तरह की भूमि का अधिग्रहण होता है तो इस स्थिति में न मुआवजा मिल पाता है न नौकरी। चैम्बर महासचिव आदित्य मल्होत्रा ने कहा कि चैम्बर में इस तरह की शिकायतें भी आई हैं कि धनबाद के शहरी इलाकों में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद रसीद काटने एवं रजिस्ट्री में रोक हटाने की प्रक्रिया नहीं की जा रही है जो कि पूर्णतः माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है।
प्रेस वार्ता में चैम्बर अध्यक्ष परेश गट्टानी, महासचिव आदित्य मल्होत्रा, सह सचिव नवजोत अलग, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल, कार्यकारणी सदस्य मुकेश अग्रवाल, रोहित पोद्दार, लैंड रिफार्म उप समिति चेयरमैन रमेश कुमार साहू, कार्तिक प्रभात, सदस्य पूनम आनंद, अमित अग्रवाल, तेजविंदर सिंह समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे। उक्त जानकारी प्रवक्ता सुनिल सरावगी ने दी।