झारखंड में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर शिक्षा विभाग ने कार्रवाई की है। राज्य के 6 जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक का वेतन रोक दिया गया है। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने अभी तक सत्र 2021-22 के बच्चों तक किताब पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। जबकि इस संबंध में आदेश फरवरी में ही जारी हो गया था।
किताबों को बच्चों तक पहुंचाने में फिसड्डी रहे हजारीबाग, खूंटी, कोडरमा, पलामू, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम के जिला शिक्षा अधीक्षक पर कार्रवाई करने संबंधी आदेश झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना परिषद के डायरेक्टर शैलेश कुमार चौरसिया ने दिए हैं।
उन्होंने इन जिलों के डीसी से कहा है कि जब तक सभी बच्चों को किताबें नहीं मिल जाती है इन सभी का वेतन रुका रहेगा। इसके साथ ही डीसी से पुस्तक वितरण की व्यस्था की मॉनिटरिंग करने के लिए भी कहा गया है।
राज्य में 50 फीसदी से ज्यादा पुस्तकों का हो चुका है वितरण
शैलश कुमार चौरसिया ने बताया कि बच्चों की किताबें प्रखंडों तक पहुंच गई हैं। इसके बांटने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी लेकिन अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर आ जाने के कारण ये काम पूरी तरह प्रभावित हो गया था। उन्होने बताया कि सभी जिलों में किताबें उपलब्ध है। आदेश के बाद भी इन जिलों में इसकी शुरुआत नहीं की गई है। जिला शिक्षा अधीक्षक की तरफ से इस संबंध में बताया गया कारण भी संतोषजनक नहीं है।
पहली से आठवीं, 9वीं और 11 वीं के बच्चों को बिना परीक्षा के प्रमोट किया गया
झारखंड में पहली से 8वीं तक के लगभग 27 लाख छात्रों को बिना परीक्षा के ही अगली क्लास में प्रमोट कर दिया गया है। इसके अलावा 9वीं और 11वीं के 8 लाख बच्चों को भी बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है। 10वीं और और 12वीं बोर्ड की परीक्षा पर सरकार की तरफ से अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है।सूत्रों के हवाले से यह खबर आ रही है की आज किसी भी वक्त इसपर फैसला आ सकता है।