कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों एवं भविष्य में थर्ड वेभ आने की संभावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने सी.बी.एस.ई. एवं अन्य सभी परीक्षा बोर्ड ने अपने एग्जाम को रद्द कर करने की घोषणा कर दी है। छात्रों को संक्रमण से बचाने एवं इस मामले पर जोखिम ना लेते मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गोवा, पुडुचेरी जैसे राज्यों ने भी अपने राज्य बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को रद्द कर बच्चों को प्रमोट करने का आदेश जारी किया है। मगर झारखंड सरकार अब तक जैक बोर्ड के 10वीं एवं 12वीं के परीक्षा पर अविलम्ब निर्णय लेने के बजाय कुम्भकर्णी निद्रा में है और यह निद्रा कब टूटेगी यह चिंता का विषय है।
10वीं एवं 12वीं के सभी विद्यार्थी उपापोह एवं संशय की स्थिति में है कि उनका एग्जाम होगा तो कैसे होगा या फिर एग्जाम रद्द होगा ? ऐसे में उनके और उनके परिवार की चिंता बढ़ते ही जा रही है। सरकार को जैक 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा को लेकर अपनी मानसिकता स्पष्ट करनी चाहिए। हर बीतते समय के साथ राज्य के गरीब, सुदूर ग्रामीण परिवार से आने वाले बच्चे पिछड़ते जा रहे हैं।
आजसू राज्य सरकार से मांग करती है कि राज्य के छात्र छात्राओं की जान माल की रक्षा करने की मंशा के साथ जैक 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाओं को रद्द किया जाना चाहिए।
राज्य में गठबंधन सरकार के कई सहयोगी छात्र संगठन जिस तरह से सीबीएसई बोर्ड परीक्षा को लेकर एक मुहीम चलाया था और सीबीएसई परीक्षा रद्द होने पर वाहवाही लूट रहे थे, उनकी जैक 10वीं एवं 12वीं के परीक्षाओं पर अपने सरकार को लेकर चुप्पी सिर्फ राजनीति प्रतीत होती है और यह प्रश्न खड़े करती हैं कि, ये लोग हर वर्ग के युवाओं के लिए अलग-अलग सोच रखते हैं।