Tuesday, April 16, 2024
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सक्सेस स्टोरी: गोड्डा का बाघमारा गांव जहां थे कालाजार के पांच केस, ऐसे हुआ बीमारी से मुक्त

गोड्डा: गोड्डा के बोआरीजोर प्रखंड में पड़ने वाले बाघमारा गांव में पहले कालाजार के कई संक्रमित थे, लेकिन योजनाबद्ध ढंग से इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ कर जीत हासिल की गयी। बाघमारा खुद ग्राम पंचायत है, जिसके अंतर्गत 10 गांव आते है। हालांकि इस पंचायत के सिर्फ बाघमारा गांव में ही कालाजार के केस मिला करते थे।

बाघमारा की मुखिया मीना मुर्मू ने बताया कि वे खुद बाघमारा गांव से आती हैं और उनके गांव के दो अलग- अलग टोलों में कालाजार के मरीज मिलते थे। उन्होंने कहा कि 2019- 20 में कालाजार के चार से पांच केस हमारे यहां थे, लेकिन अब एक भी नया केस सामने नहीं आया है और जो पुराने मरीज थे वे ठीक हो चुके हैं। हालांकि त्वचा रोग संबंधी परेशानी है और उसका इलाज कराया जा रहा है। मालूम हो कि पोस्ट कालाजार में त्वचा से संबंधित परेशानियां कई मरीजों में उभर कर सामने आती हैं।

इस लड़ाई से कैसे जंग में जीत हासिल हुई, इस सवाल पर मीना मुर्मू कहती हैं: गांव में हमने एक मीटिंग की और इसमें इस बात पर चर्चा की कालाजार से कैसे लड़ना है। उन्होंने कहा कि लोगों को बताया गया कि गीली मिट्टी व बालू पर कालाजार की मख्खी पनपती है, इसलिए लोगों को वैसी जगहों पर सफाई रखने और अधिक से अधिक सूखापन रखने के लिए प्रेरित किया गया। लोगों को मच्छरदानी के प्रयोग को लेकर भी जागरूक किया गया।

मीना मुर्मू कहती हैं कि शिक्षा की कमी से आरंभ में थोड़ी परेशानी आयी लेकिन धीरे- धीरे लोगों को जागरूक कर लिया गया और वे बात समझने लगे। मीना मुर्मू के अनुसार, जागरूकता फैलाने में जेएसएलपीएस – झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी, शिक्षा विभाग का भी सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व संक्रामक रोग से निबटने के लिए तैनान अन्य कर्मियों का सहयोग हमें मिलता है। उन्होंने कहा कि इस साल के आरंभ में दिल्ली से स्वास्थ्य विभाग के एक वरीय अधिकारी हमारे गांव आए थे, जिनके साथ बैठक में कालाजार, फाइलेरिया, मलेरिया को लेकर लोगों को जागरूक करने के बारे में बताया गया।

वहीं, पीसीआइ – प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल की ओर से कालाजार को लेकर गोड्डा जिला में सामाजिक जागरूकता के लिए क्षेत्रीय संयोजक के रूप में काम कर रहे अमरेश कुमार ने कहा, केस घटने और बढने में सामाजिक जागरूकता का अहम योगदान होता है। अगर लोगों को बीमारी को लेकर जागरूक कर लिया जाता है और छिड़काव करा दिया जाता है तो खतरा काफी कम होता है। उन्होंने कहा कि कई बार लोग जागरूकता नहीं होने की वजह से अपने घर में छिड़काव के लिए तैयार नहीं होते, ऐसे में हम उन्हें समझा कर इसके लिए प्रेरित करते हैं।

अमरेश कुमार कहते हैं कि जेएसएलपीएस की दीदी, सहिया-सेविका व मुखिया का समुदाय में जागरूकता लोन में और उन्हें प्रेरित करने में अहम योगदान होता है। उन्होंने कहा कि गोड्डा जिले में बोआरीजोर, सुदंरपहाड़ी और पोड़ैयाहाट तीन प्रखंडों में मुख्यतः कालाजार का केस पाया जाता है। उनके अनुसार, बोआरीजोर में पिछले साल जहां 17-18 केस मिले थे, वहीं इस साल अबतक छह केस मिले हैं, जो एक उपलब्धि है।

वहीं, जिले के भीबीडी कंसलटेंट हेमंत कुमार भगत ने बताया कि हम सबके प्रयासों के साथ ही कालाजार अभियान में लोगों का भी बहुत सहयोग है और यही कारण हैं कि वर्ष 2020 में कालाजार के 87 मरीज़ मिले थे और सबको उचित इलाज मिला और सब ठीक हो गए। इस बार भी अभी तक कालाजार के 30 मरीज़ मिले थे, सब ठीक हो चुके हैं। हमारा कालाजार मरीजों को ढूँढने का अभियान निरंतर जारी है।

अब कालाजार बीमारी का इलाज नयी तकनीक से मात्र एक दिन में किया जाता है। भगत ने यह भी बताया कि कालाज़ार प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों से अपने घर पर छिड़काव करवाने समय समुदाय के लोग निम्न बातों का ध्यान रख रहें हैं।

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