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Thursday, June 19, 2025
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सारंडा वन प्रमंडल में क्षेत्र सीमांकन की प्रक्रिया आरंभ हो गई हैःसरयू राय

जमशेदपुर। जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने सारंडा सघन वन क्षेत्र में से करीब 57000 हेक्टेयर क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण्य बनाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत किया है। सरयू राय ने कहा कि वह सारंडा संरक्षण अभियान के बैनर तले अभ्यारण्य बनाने की मांग 2009 से लगातार करते रहे हैं। प्रसन्नता है कि सारंडा संरक्षण अभियान को 16 साल बाद ही सही, सफलता मिली। लक्ष्य पूरा हुआ, इसे लेकर भी खुशी है।

यहां जारी एक बयान में सरयू राय ने कहा कि सारंडा वन प्रमंडल में क्षेत्र सीमांकन की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। चाईबासा के उपायुक्त ने सर्किट हाउस में भेंट के दौरान इस बात की पुष्टि की। 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इसका प्रारुप पेश करना है। उसके पहले सरकार इसे तैयार कर लेगी। 57000 हेक्टेयर में वन्य जीव अभ्यारण्य बनेगा और उसके भीतर करीब 13000 हेक्टेयर क्षेत्र को रिजर्व घोषित किया जाएगा। सरयू राय ने कहा कि जब 1970 में सारंडा का वर्किंग प्लान बना था, तब उसमें यह अंकित था कि ब्रिटिश पीरियड में सारंडा के ससंडा इलाके को सेन्च्युरी के रुप में चिन्हित किया गया था। तब से उन्होंने विधानसभा में तीन बार अधिसूचना उपलब्ध कराने की मांग की। वन विभाग में कहीं वह अधिसूचना नहीं मिली। वन विभाग के अधिकारी पटना के गुलजारबाग प्रेस में भी गये। वहां भी अधिसूचना नहीं मिली। लोगों ने मान लिया था कि वह अधिसूचना नहीं है। तब सारंडा के ससंदा इलाके को संरक्षित बनाना संभव नहीं होगा। सतत प्रयास से जब यह मामला एनजीटी में गया, तो दो साल पहले एनजीटी ने निर्देश दिया कि आप ससंदा क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण्य बनाइए।

सरकार ने इस निर्देश को लागू नहीं किया। डॉ. आर.के सिंह नाम के वन्य जीव विशेषज्ञ सुप्रीम कोर्ट गये। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। तब झारखंड सरकार के वन विभाग के सचिव को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी। उसी समय सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि 23 जुलाई तक सरकार इसका प्रारुप पेश करे। प्रारुप पेश हो जाएगा तो सारंडा को जो पेड़ काटने वालों और खनन करने वालों से जो नुकसान हो रहा है, वह रुक जाएगा। सरय़ू राय ने कहा कि हम लोगों ने सारंडा संरक्षण अभियान के तहत यही अभियान चलाया था कि सारंडा, जो 700 पहाड़ियों वाला क्षेत्र है, उसका संरक्षण होना चाहिए। यहां वन्य जीव अभ्यारण्य बनेगा तो वन्य जीवों का संरक्षण होगा और सारंडा वन क्षेत्र भी बच जाएगा।

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