Saturday, April 20, 2024
spot_img
Homeजनता की आवाजआज उपायुक्त रांची के कार्यालय के समक्ष कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते...

आज उपायुक्त रांची के कार्यालय के समक्ष कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए अभिभावक संघ ने अपना मौन प्रदर्शन किया

झारखंड अभिभावक संघ द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत सात वार सात गुहार के तहत आज उपायुक्त रांची के कार्यालय के समक्ष कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए अभिभावक संघ ने अपना मौन प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि राज्य का हर तबका कोरोना की वजह से आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. खर्च बढ़े हैं और आमदनी कम हुई है. ऐसे आर्थिक अस्थिरता के दौर में अभिभावकों को दोहरा मार झेलना पड़ रहा है. जहां घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है वहीं निजी स्कूलों की फीस वसूली के शिकार भी होना पड़ रहा है. निजी स्कूल मनमानी पर उतर आये हैं. ये न तो राज्य सरकार के आदेश को मान रहे हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को. निजी स्कूलों ने स्थिति ऐसी बना दी है कि बिना फीस लिए न तो रिजल्ट दिया जा रहा है और न ऑनलाइन क्लास करने दे रहे हैं. नये एकेडमिक इयर में कही 35% तो कही 12% तक फीस बढ़ोतरी कर दी है।

एनुअल चार्ज, बिल्डिंग चार्ज, मिसलिनियस चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, गेम्स चार्ज, सिक्यूरिटी चार्ज, सीसीटीवी चार्ज, स्कूल चार्ज, एसएमएस चार्ज, मेडिकल चार्ज, , डेवलपमेंट चार्ज. आदि।
अजय राय ने कहा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान सत्र 2020-21 के लिए फीस वृद्धि पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी थी. सरकार ने आदेश दिया था कि जब तक स्कूल नहीं खुलेगा, तब तक केवल ट्यूशन फीस ही लेनी है. मासिक ट्यूशन फीस में भी वृद्धि नहीं करनी है. यह निर्देश उन स्कूलों के लिए था, जो ऑनलाइन क्लास चला रहे थे. जो स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं संचालित नहीं कर रहे हैं, उन्हें ट्यूशन फीस भी नहीं लेनी है. लेकिन नये सत्र 2021-22 के लिए सरकार ने इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया, जबकि स्कूल अब भी नहीं खुले हैं और ऑनलाइन कक्षाओं का ही संचालन हो रहा है. इसका फायदा स्कूल प्रबंधन उठा रहे ह।ैं

झारखंड अभिभावक संघ की मांग है की

  1. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम – 2017 को राज्य के हर जिले में प्रभावी बनाया जाय ताकि
    . कोई भी स्कूल अपने मन मुताबिक ट्युसन फ़ीस में बढ़ोतरी या किसी अन्य मद में फीस वसूली नहीं कर सकता है। इसके लिए झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के एक्ट के तहट स्कूल पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन का गठन करे जो अनिवार्य है। जिनके अनुशंसा पर ही शुल्क निर्धारण कमेटी जो जिला के अंदर बनाई जानी है जिसके अध्यक्ष उस जिले के उपायुक्त होते हैं उस कमेटी के अनुमोदन के बाद ही कोई स्कूल फीस को लेकर निर्णय ले सकती है अन्यथा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का प्रावधान एक्ट में बनाया गया है। इसे प्रभावी बनाया जाए।
  2. किसी भी स्कूल द्वारा बच्चों को फ़ीस के एवज में ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित करना अनैतिक एवं स्कूल मैनेजमेंट की मानसिक दिवालियपन दर्शाता है. जिस पर रोक लगनी चाहिए।
  3. झारखंड सरकार का आदेश, जो पिछले साल पत्रांक संख्या 13/वी 12-55/2019 दिनांक 25/06/2020 को निकाला गया था, वह आज भी प्रभावी है। उक्त आदेश के अनुसार निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा अन्य मद में फीस नहीं ले सकता। मगर वर्तमान में स्कूलों ने उस आदेश को ताक पर रखकर हर तरह की फीस वसूल रहे हैं इसको लेकर सरकार की ओर से पुनः एक आदेश जारी किया जाना चाहिए ताकि कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर और बेरोजगार हुए अभिभावकों को थोड़ा राहत मिल सके।
    4.सभी संबद्धता प्राप्त स्कूलों के पिछले 5 साल के आय-व्यय का ब्यौरा की समीक्षा सरकार कराएं ताकि जो आर्थिक रूप से कमजोर स्कूल हैं उन्हें सहयोग करें जिससे कि उनके यहां काम करने वाले शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी ड्राइवर खलासी को माहवारी मिल सके और जो सर प्लस में चलने वाले स्कूल जिन के विभिन्न अकाउंट में आज भी करोड़ों रुपए फिक्स डिपाजिट हैं और आज भी वह रोना रो रहे हैं फिस के लिए वैसे स्कूलों के ऊपर विभिन्न मदों में लिए जाने शुल्क पर लगाम लगाया जाए ।
  4. केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा लीज पर उपलब्ध कराए गए जमीन पर खुले स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावे विभिन्न मदों में लिए जाने वाले शुल्क पर रोक लगाए जाने को लेकर राज्य सरकार हस्तक्षेप करें।

THE REAL KHABAR

RELATED ARTICLES

Most Popular