विश्व हिंदू परिषद यानि विहिप के झारखंड प्रांत का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को राज्यपाल रमेश बैस से मिला। राज्यपाल को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष के आदेश से मुस्लिमों को नमाज कक्ष आवंटित किया गया है। यह असंवैधानिक है। भारतीय लोकतंत्र में किसी भी राज्य के विधानसभा भवन की अपनी मर्यादा होती है। विधानसभा भवन में राज्य के विकास की नीति निर्धारण एवं विधान प्रतिस्थापित होती है तथा विकास की कार्ययोजना निश्चित होती है।
विधानसभा की कार्यप्रणाली में आम जनमानस की आस्था होती है, विश्वास होता है। सदन में निर्धारित नीति विधान एवं कार्य योजना सर्वसाधारण जनता के लिए होती है, ना की किसी एक विशेष के लिए। सदन किसी भी धर्म अथवा संप्रदाय से ऊपर होती है। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि झारखंड में शैव, वैष्णव, सरना, सिख, जैन, बौद्ध, मुस्लिम, ईसाई सहित कई धर्मधाराओं तथा भाषा-भाषी के लोग रहते हैं, परंतु सभी धर्मधाराओं एवं भाषा-भाषी की जनता को नकारते हुए सिर्फ मुस्लिमों को प्रश्रय देना तुष्टीकरण की पराकाष्ठा को पार करना है।
झारखंड सरकार “फूट डालो शासन करो” की नीति अपनाकर समाज के बीच वैमनस्यता बढ़ा रही है। इससे सामाजिक विद्वेष फैल रहा है। अल्पदर्शी एवं अल्पविवेकी झारखंड सरकार के उक्त गलत निर्णय के कारण जन आंदोलन प्रारंभ है। इससे प्रदेश के विकास कार्य में अवरोध हो रहा है। इसका प्रभाव प्रदेश की जनता पर पड़ेगा। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मांग की है कि लोकतंत्र के मंदिर “विधान सभा भवन” की महत्ता एवं गरिमा तथा सामाजिक सद्भावना को बनाए रखने के लिए झारखंड विधान सभा भवन में मुस्लिमों को दिए गए नमाज-कक्ष के आवंटन को निरस्त करने के उचित आदेश-निर्देश दें।
विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री डॉ. बिरेन्द्र साहु ने बताया कि इस संबंध में झारखंड प्रांत के सभी पंचायत व प्रखंड समिति ने अपने क्षेत्र के प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं जिला समिति ने अपने क्षेत्र के उपायुक्त के द्वारा राज्यपाल को सैकड़ों की संख्या में ज्ञापन प्रेषित किए हैं। प्रतिनिधिमंडल में क्षेत्र संगठन मंत्री अकारपु केशव राजू, क्षेत्र अध्यक्ष रामस्वरूप रुंगटा, प्रांत कार्याध्यक्ष तिलक राज मंगलम, उपाध्यक्ष गंगा प्रसाद यादव व सुनील गुप्ता, प्रांत मंत्री डा. बिरेन्द्र साहु, कोषाध्यक्ष मदन बागड़िया, गोरक्षा प्रांतप्रमुख गिरिजाशंकर पांडेय शामिल थे।