झारखंड में इस बार नगर निकाय चुनाव काफी लंबे समय से लंबित है।नगर निकाय क्षेत्रों में रहने वाले जनता काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं।
अगर हम बात करें रांची नगर निगम क्षेत्र की तो यहां की जनता भी काफी त्रस्त हैं,सड़कें हो या पार्षद से संबंधित कोई और कार्य सभी लंबित है।
इस विषय पर रांची सिटीजन फोरम के अध्यक्ष दीपेश निराला जी ने कहा कि
रांची नगर निगम सहित झारखंड के सभी नगर निकाय का चुनाव वर्षों से लंबित पड़ा हुआ है, जिससे स्थानीय स्वशासन की बात झारखंड में बेईमानी साबित हो रही है।
74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के द्वारा नगर निकाय चुनाव और नगरपालिका को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ है और झारखंड नगरपालिका अधिनियम, 2011 के माध्यम से झारखंड में इसकी व्यवस्था की गई है।
लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि वर्तमान में झारखंड के किसी भी नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत का चुनाव नहीं हुआ है, और इसके पीछे मूल रूप से कारण यह है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि ट्रिपल टेस्ट की कार्रवाई के उपरांत ही नगर निकाय चुनाव कराया जाएगा झारखंड में।
झारखंड के पिछले गठबंधन सरकार में भी कई वर्षों तक पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आयोग के अध्यक्ष का पद खाली रहा था, सरकार के अंतिम कार्यकाल के वर्ष में श्री योगेंद्र महतो जी को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया, फिर विधानसभा चुनाव, 2024 में वे गोमिया विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर वर्तमान में झारखंड सरकार के मंत्री के पद को सुशोभित कर रहे हैं और पिछड़ा वर्गों के लिए राज्य आयोग का के अध्यक्ष का पद पुनः रिक्त पड़ा हुआ है, जिससे ट्रिपल टेस्ट की पूर्ण कार्रवाई अब तक संपादित नहीं हो सकी है और उस कारण झारखंड में नगरपालिका चुनाव नहीं हो पा रहा है।
ट्रिपल टेक्स्ट की कार्रवाई होने के बाद भी कई महीने का समय लगेगा नगर निकाय का चुनाव करवाने में, क्योंकि इसके लिए कई तरह की तैयारी करनी पड़ती है चुनाव आयोग को।
झारखंड में रांची नगर निगम और अन्य नगर निकाय का चुनाव नहीं होने के वजह से जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि उनके स्थानीय स्वशासन के संवैधानिक अधिकारों पर इस कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, और प्रत्येक वार्ड से जो जनता के प्रतिनिधि वार्ड पार्षद के रूप में उक्त चुनाव के जरिए चुनकर आते थे और उनके जरिए नगर निकाय के बोर्ड की बैठक होकर जनता की योजनाओं को धरातल पर उतारा जाता था, अभी वह काम नहीं हो पा रहा है, जिसके वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में कार्यपालक पदाधिकारियों को प्रशासक की भूमिका में बहाल करके उक्त काम को कराया जा रहा है, जिससे आम जनता की भावना उक्त नगरपालिकाओं के माध्यम से धरातल पर क्रियान्वित नहीं हो पा रही है।
लोकतंत्र के बेहतर संचालन के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का संतुलन होना बहुत जरूरी है, और जब एक स्तंभ का काम दूसरा स्तंभ करने लगे तो कार्यपालिका पर वर्कलोड भी बढ़ जाता है, इसलिए जरूरी है कि तुरंत झारखंड सरकार पिछड़ा वर्गों के लिए बने राज्य आयोग में अध्यक्ष पद पर योग्य उम्मीदवार की नियुक्ति कर ट्रिपल टेस्ट की कार्रवाई को पूर्ण करवाते हुए यथाशीघ्र झारखंड के सभी नगरपालिकाओं का चुनाव करवा कर स्थानीय स्वशासन को नगर निकाय में बहाल करे।