गुमला के चर्चित चिकित्सक हत्याकांड में 6 वर्ष बाद सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए 5 आरोपियों को दोषी करार दे दिया। सजा का ऐलान 22 दिसंबर को होगा। बताया जाता है कि गत 30 अप्रैल 2015 को सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ आरबी चौधरी का अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। ASJ पांच एस एन सिन्हा की अदालत में मामले की सुनवाई चल रही थी। इसमें कोर्ट ने इस वारदात के लिए दीपक कुमार, रूपेश प्रसाद, महावीर उरांव,सूरज पंडित व अशोक उरांव को दोषी करार दिया है। अदालत ने इन सभी आरोपियों को IPC की धारा 364 A,302,120 B,201 के तहत दोषी ठहराया है।
बताया जाता है कि जिले के तत्कालीन RCH पदाधिकारी डॉ. राम बचन चौधरी का अपराधियों ने 30 अप्रैल 2015 को उनके जशपुर रोड स्थित प्राइवेट क्लिनिक से अपहरण कर लिया गया था। मरीज बनकर पहुंचे अपहरणकर्ता उन्हें स्कूटी में बैठाकर अपने साथ ले गए। इसके बाद उनका शव रायडीह के साहीटोली स्थित चांडाल डैम के समीप जंगल से मिला था। हत्या से पूर्व अपराधियों ने उन्हें सही सलामत छोड़ने के बदले परिजनों से 50 लाख रुपए फिरौती की मांग की थी। बाद में 5 लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। इसके बाद अपहर्ताओं ने फिरौती पैसा लेकर पहले परिजनों को हजारीबाग बुलाया था। फिर वहां से रांची, लातेहार व सतबरवा आने को कहा था। अंत में अपहर्ताओं ने बेतला में बुला कर परिजनों से चार लाख रुपये लिए थे। कहा था कि डॉ चौधरी को छोड़ देंगे। फिरौती की रकम ले लेने के बावजूद डॉक्टर को मार डाला गया। शव मिलने के बाद पुलिस अनुसंधान के क्रम में इन आरोपियों के नाम सामने आए थे । इसके उनके ऊपर पुलिस ने 13 मई 2016 को आरोप गठन किया था। चार्जशीट के अनुसार 20 लोगों की गवाही हुई। पूरे मामले में सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक मो जावेद हुसैन ने पैरवी की।
भीमसेन टूटी ने किया था खुलासा
डॉक्टर का शव मिलने के कुछ दिन बाद ही जिले के तत्कालीन SP भीमसेन टूटी ने अपहरण के बाद हुई हत्या के इस चर्चित मामले का खुलासा कर दिया था। साथ ही 3 अपराधियों को पकड़ा गया था। इसमें रायडीह छत्तरपुर के रूपेश प्रसाद, अशोक उरांव व गुमला के दीपक कुमार शामिल थे। फरार आरोपियों में सूरज पंडित, महावीर उरांव व घटना के मास्टर माइंड मुजफ्फरपुर स्थित कुढ़नी गांव निवासी अभय उर्फ धनंजय मेहता उर्फ कृष्ण मोहन झा उर्फ काली शामिल थे।बाद में इन तीनों की भी गिरफ्तारी की गई थी। इनमें धनंजय मेहता उर्फ कृष्ण मोहन की चार्जशीट अलग से दाखिल किए जाने के कारण अलग से उसकी सुनवाई जारी है।वर्तमान में यह मामला गवाही के स्तर पर है।
रांची में बनी थी योजना
sp ने बताया था कि अपहरण के बाद डॉक्टर ने अपराधियों को पहचान लिया था। इस कारण उनकी हत्या कर दी गयी थी। डॉ चौधरी के अपहरण की योजना रांची के होटल में 28 व 29 अप्रैल 2015 को बनायी गई थी। इस योजना के तहत अपहरणकर्ता महिला के इलाज के बहाने डॉक्टर को 30 अप्रैल को किडनैप कर ले गए थे। इसके बाद डॉक्टर को रायडीह थाने के छत्तरपुर स्थित आरोपी सूरज पंडित के पैतृक आवास में बंधक बना कर रखा गया था। साथ ही डॉक्टर के परिजनों ने 3 मई को अपराधियों को फिरौती की रकम 4 लाख दे दी थी। इस दौरान डॉक्टर आरबी चौधरी ने अपराधियों को पहचान लिया था। जहां उन्हें रखा गया था उस जगह की भी उन्हें जानकारी हो गई थी। इसलिए अपराधियों ने साक्ष्य छिपाने के लिए रायडीह थाने के साहीटोली डैम के जंगल के समीप ले जाकर उनकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने अपहरण में इस्तेमाल की गई स्कूटी व बोलेरो गाड़ी को भी बरामद की थी।
पुलिस को सीसीटीवी फुटेज से मिला था सुराग
30 अप्रैल को अपहरण की सूचना के बाद से ही पुलिस ने डॉक्टर की सकुशल बरामदगी के लिए कार्रवाई शुरू कर दी थी। लेकिन डॉक्टर के मोबाइल को लेकर अपराधी पुलिस को भ्रमित करने के लिए अलग-अलग स्थानों में लेकर घूम रहे थे।साथ ही उनके मोबाइल से कॉल कर डॉक्टर के परिजनों से फिरौती की मांग कर रहे थे। पहला कॉल 30 अप्रैल को रायडीह क्षेत्र से किया गया था। इसके बाद 1 मई को रांची व कैमूर (भभुआ) का लोकेशन दिखाने लगा। इसके बाद पुलिस ने जशपुर रोड में लगे एक सीसीटीवी कैमरे की जांच की। तो डॉक्टर को सफेद रंग की स्कूटी से रायडीह की ओर ले जाते देखा गया था। जांच पड़ताल के बाद पुलिस रूपेश, दीपक व अशोक तक पहुंची थी। और तीनों को पकड़ा लिया था। पुलिस की गिरफ्त में सबसे पहले आने वाले रूपेश, अशोक और दीपक घटना के मास्टर माइंड अभय व सूरज के निर्देश पर गुमला में काम कर रहे थे। बेतला में अभय व सूरज ने ही डॉक्टर के परिजनों से चार लाख फिरौती ली थी। इसके बाद दोनों ने ही अपने साथियों से डॉक्टर की हत्या करने को कहा था। अभय के कहने पर रूपेश,अशोक व दीपक ने डॉक्टर को मार डाला था।
यह हुआ था असर
डॉ. आरबी चौधरी की हत्या के बाद अगले 23 घंटे तक शहर की रफ्तार थम सी गई थी। चिकित्सक और कर्मचारी संघ ने मुआवजा सहित अन्य मांगों को लेकर सदर अस्पताल के पास NH 78 को जाम कर दिया था। तब हत्याकांड की निंदा करते हुए आम लोग ने जाम को अपना नैतिक समर्थन दिया था। समर्थन में दवा दुकानों तक को बंद रखा गया था।