राज्य की वर्तमान हेमन्त सरकार ने नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर अपने ही चुनावी घोषणा पर किये वादे को यू टर्न लिया है। सरकार ने नियमावली से खतियानी अहर्ता को खत्म कर झारखंड में नियुक्ति द्वार को सभी के लिए खोल दिया है, 10वीं एवं 12वीं उतीर्ण होने के अहर्ता को लागू कर दिया है। चुनाव पूर्व हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार ने कई वादे किए, जिसमें 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय एवं नियोजन नीति निर्धारित करना मुख्य थी। लेकिन वर्तमान नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर महागठबंधन की सरकार ने अपने ही चुनाव पूर्व वादों से यू- टर्न ले लिया है। उक्त बातें प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आजसू के नीतीश सिंह ने कही हैं।
झारखंडी अस्मिता पर कुठाराघात है हेमन्त सरकार की नियोजन नीति
नीतीश सिंह ने कहा कि हेमन्त सरकार की वर्तमान नीति झारखंडी अस्मिता पर कुठाराघात है। साथ ही यह झारखंडी युवाओं के लिए अहितकारी है। झारखण्ड के युवाओं ने जिस भवनाओं के साथ हेमन्त सरकार को चुनने का काम किया था उन्ही भावनाओं को अब सरकार के द्वारा कुचला जा रहा है, आने वाले समय मे काला अध्याय साबित होगा यह निर्णय, हमारी आने वाली पीढ़ियां नियुक्ति को तरसेंगी और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में युवा झारखंड आकर 10वीं एवं 12वीं उतीर्ण कर स्थानीय युवाओं से हकमारी करेंगे। संघर्ष से उपजा हुआ झारखंड राज्य के युवा वर्तमान हेमन्त सरकार के नियोजन नियमावली रूपी कुनीति के करण पलायन एवं मजदूरी करने को बाध्य होंगे। इस नियमावली से बड़ी संख्या में राज्य में बेरोजगारों की फौज तैयार होगी।
नयी नियमावली के तहत अब झारखण्ड राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित की जानेवाली परीक्षाओं में शामिल होने के लिए अन्य राज्यों के युवा झारखण्ड के किसी भी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान में वर्ग नवीं एवं एगारवीं में नामंकन कराकर आसानी से 02 वर्षों में ही खुद को स्थानीय की अहर्ता में शामिल कर लेंगे। मतलब राज्य में थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी खतियांधारियों के साथ साथ उन्हें भी मिलेगी, जिन्होंने यहां से मैट्रिक पास की हुई हो।
अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) लगातार स्थानीयता एवं नियोजन नीति को लेकर मुखर रही है
अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) स्थानीय नीति और नियोजन नीति में पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राइट्स को शामिल करने को लेकर हमेशा से मुखर रही है। आजसू नियोजन नीति में पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राइट्स के प्रावधानों को शामिल करने के लिए आमरण अनशन तक किया है। आजसू मांग करती है कि वर्तमान सरकार नियुक्ति नियमावली पर पुनः विचार करते हुए झारखंडी अस्मिता एवं झारखंड अलग राज्य आंदोलन में मूल भावनाओं का ख्याल रखे जिसमें तृतीय और चतुर्थ वर्ग की श्रेणियों में राज्य और जिला में होने वाली नियुक्तियों में केवल स्थानीय लोगों को ही मिल सके।
अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) स्थानीय नीति और नियोजन नीति में पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राइट्स को शामिल करने को लेकर हमेशा से मुखर रही है। आजसू नियोजन नीति में पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राइट्स के प्रावधानों को शामिल करने के लिए आमरण अनशन तक किया है। आजसू मांग करती है कि वर्तमान सरकार नियुक्ति नियमावली पर पुनः विचार करते हुए झारखंडी अस्मिता एवं झारखंड अलग राज्य आंदोलन में मूल भावनाओं का ख्याल रखे जिसमें तृतीय और चतुर्थ वर्ग की श्रेणियों में राज्य और जिला में होने वाली नियुक्तियों में केवल स्थानीय लोगों को ही मिल सके।