Saturday, May 4, 2024
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शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी गई तो, देश का कल्याण असंभव है – राज्यपाल

शिक्षक दिवस के अवसर पर राँची विश्वविद्यालय, राँची दवा ” गुरु वंदन पर्व” का आयोजन आर्यभट्ट ऑडिटोरियम में किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में झारखण्ड के महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति श्री रमेश बैस उपस्थित रहें।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं राँची विश्वविद्यालय के कुलगीत के पश्चात दीप प्रज्वलित कर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
राँची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने महामहिम राज्यपाल को बुके, शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर एवं अभिनंदन किया
स्वागत भाषण में कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि आज पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 133 वीं जयंती है, वे हम शिक्षकों के प्रेरणा स्रोत हैं।उन्होंने राँची विश्वविद्यालय द्वारा कोरोना काल में किये गए कार्यों का संक्षिप्त विवरण दिया एवं परीक्षा तथा विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन समय पर आयोजित कर उनके परिणाम भी घोषित किया जा रहा है।उन्होंने महामहिम को राँची विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल होने पर हृदय से आभार प्रकट की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल श्री रमेश बैस ने कहा कि यदि शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी गई तो, देश का कल्याण असंभव है।उन्होंने कहा कि शिक्षा मनुष्य के विकास के लिए परम आवश्यक है साथ ही साथ वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जिस देश के बच्चें शिक्षित होंगे वहीं देश विकसित होगा। उन्होंने अपने भाषण के दौरान देश के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन करते हुए कहा कि 1965 में इनके सम्मान में शिक्षक दिवस की संकल्पना की गई थी।उन्होंने कहा कि यह दिवस आत्मनिरीक्षण का अवसर है एवं राधाकृष्णन जी के व्यक्तित्व विचार एक ओर धार्मिकता थी वही दूसरी ओर शास्त्रों के स्वाध्याय में धैर्य रुचि थी। उनका मत था कि उचित शिक्षा से ही समाज में मौजूद समस्याओं का समाधान हो सकता है जिसके लिए अपने शिक्षक की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि शिक्षक संचार के रचनाकार है एवं उनपर ही समाज को दिशा प्रदान करने का अहम दायित्व है। उन्होंने राधाकृष्णन के विचार को दुहराते हुए कहा कि यदि शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी गई तो लोकतंत्र में सभी प्रयोग असफल होंगे एवं उनके इन्ही शब्दों को व्यवहारिक रूप में आत्मसात करने की जरूरत है।
आज के कार्यक्रम में राज्यपाल द्वारा राँची विश्वविद्यालय के न्यूज़ बुलेटिन (न्यूज लेटर) का लोकार्पण किया तथा विश्वविद्यालय ” हिंदी विभाग अतीत और वर्तमान ” नामक पुस्तक का भी लोकार्पण किया जिसके लेखक विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पाण्डेय हैं।
राँची विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त शिक्षकों का सम्मान शॉल, पौधा देकर राज्यपाल द्वारा किया गया ।महामहिम के कर कमलों द्वारा सम्मानित किए गए शिक्षकों में पूर्व कुलपति डॉ रमेश कुमार पाण्डेय, पूर्व कुलपति डॉ रमेश शरण, डॉ सरस्वती मिश्रा, डॉ संजय मिश्र, डॉ सतीश चंद्र गुप्ता, डॉ के सी प्रसाद, डॉ एस एन एल दास आदि शामिल हैं।
कार्यक्रम का संचालन परफॉर्मिंग एन्ड फाइन आर्ट की निदेशक डॉ नीलिमा पाठक ने किया।धन्यवाद ज्ञापन राँची विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुकुंद चंद्र मेहता ने किया।
महामहिम के जाने के उपरांत कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने अवकाश प्राप्त शिक्षकों के पास जाकर उनका वंदन करते हुए शॉल एवं पौधा देकर सम्मानित किया जिसमें मुख्य रूप से डॉ एस एन सिंह, डॉ पी के वर्मा, डॉ एल जी एस एन शाहदेव, डॉ उदय कुमार, डॉ अभिजीत दत्ता, डॉ रामेश्वर साहू, डॉ उमाशंकर शर्मा, डॉ रामलाल, डॉ रेणु दीवान, डॉ रेणुका ठाकुर, डॉ एन के केसरी सहित कुल 70 प्राध्यापक शामिल हैं।
आज के कार्यक्रम में महापौर डॉ आशा लकड़ा, राँची विश्वविद्यालय के वित्त परामर्शी देवाशीष गोस्वामी, विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ ज्योति कुमार, डी एस डब्ल्यू डॉ राजकुमार शर्मा, सी सी डी सी डॉ राजेश कुमार, वित्त पदाधिकारी डॉ ए एन शाहदेव, डॉ बी आर झा, डॉ अजय लकड़ा, डॉ अशोक सिंह, डॉ ज्ञान कुमार सिंह, डॉ राजीव कुमार सिंह, एन एस एस कोऑर्डिनेटर डॉ बार कुमार, डॉ आनंद ठाकुर आदि की विशेष रूप से उपस्थित रहें।
आज के कार्यक्रम में राँची विश्वविद्यालय के परफॉर्मिंग एन्ड फाइन आर्ट विभाग के छात्र – छात्राओं ने राष्ट्रगान एवं कुलगीत का गायन किया एवं एन एस एस के स्वयंसेवकों ने व्यवस्था को संभालने में महती भूमिका निभाई।

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