आजसू प्रदेश अध्यक्ष गौतम सिंह ने कहा कि एक ओर विधानसभा में मुख्यमंत्री जी जेपीएससी पीटी परीक्षा परिणाम को क्लीन चीट देते हैं और दूसरी ओर रात को 12बजे चुपके से आंदोलनरत अभ्यर्थियों को मोरहाबादी से ओरमांझी शिफ्ट कर देते। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर परीक्षा परिणाम में कोई त्रुटि नहीं है, तो अभ्यर्थियों के वाजिब सवाल का जवाब देने के लिए अबतक कोई मंत्री या खुद मुख्यमंत्री जी सामने क्यों नहीं आये? अच्छा होता कि सदन में गोलमटोल बातें करने के बजाए मुख्यमंत्री जी आंदोलनरत अभ्यर्थियों के बिंदुवार सवालों का बिंदुवार जवाब देते। अखिल झारखण्ड छात्र संघ (आजसू) के नेता, कार्यकर्ता एवं समर्थक छात्रों की मांग एवं इस आंदोलन को हर हाल में मुकाम तक ले जाएंगे।
साथ ही उन्होंने जेपीएससी अभ्यर्थी न्याय वीडियो कैंपेन की जानकारी देते हुए कहा कि कल पूरे राज्य में प्रारंभ किये गए इस कैंपेन को जोरदार समर्थन मिल रहा है। राज्य के हर कोने से लोगों ने जेपीएससी मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
महामहिम के नाम प्रेषित मांग-पत्र के मुख्य अंश-
जेपीएससी द्वारा दिनांक 19 सितंबर,2021 को “झारखण्ड संयुक्त असैनिक सेवा प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा-2021” का आयोजन किया गया, जिसका परिणाम दिनांक 1नवंबर,2021 को जारी किया गया। प्रारंभिक परीक्षा परिणाम में कई ऐसी त्रुटियां हैं, जिसने जेपीएससी को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
निश्चित रुप से जेपीएससी पीटी परीक्षा का परिणाम संदेह के घेरे में आता है। अतः इसे रद्द करने के साथ-साथ इस पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच सुनिश्चित होनी चाहिए।
जेपीएससी पीटी परीक्षा में कई ऐसी त्रुटियां सामने आयी हैं, जिसे दरकिनार नहीं किया जा सकता। ये त्रुटियां निम्नवत है-
• सामान्य वर्ग का कट ऑफ 260 अंक था, लेकिन 140 अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी को भी पास किया गया।
• अनुसूचित जाति वर्ग का कट ऑफ 230 अंक निर्धारित था, लेकिन 128 अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी को भी पास किया गया।
• कई ऐसे छात्र जिनके मार्क्स कट ऑफ अंक से ज्यादा थे, उन्हें फेल कर दिया गया।
• ओबीसी वर्ग का कट ऑफ 252 अंक था, लेकिन 230 अंक लाने वाले अभ्यर्थी को पास कर दिया गया।
• 49 अभ्यर्थियों का ओएमआर गुम कैसे हुआ, गुम होने के बावजूद अभ्यर्थियों को किस आधार पर पहले पास और फेल किया गया?
यह तमाम सवाल है जिसका जवाब देने में जेपीएससी खुद असमर्थ है। महोदय, पिछले डेढ़ महीने से अपनी वाज़िब मांगों को लेकर अभ्यर्थी आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार की ओर से इसे लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गयी। अभ्यर्थियों की समस्याओं के समाधान के विपरीत झारखण्ड सरकार युवाओं की आवाज़ को दबाने में जुटी हुई है। कभी उन्हें खदेड़ा जा रहा तो कभी लाठी-डंडे बरसाए जा रहें।
अखिल झारखण्ड छात्र संघ का मसकद सिर्फ पीटी परीक्षा रद्द कराना नहीं है अपितु यह भी सुनिश्चित कराना है कि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां ना हो। क्योंकि इससे अभ्यर्थियों पर आर्थिक एवं मानसिक असर पड़ रहा है। साथ ही राज्य के युवाओं को सरकारी शासन व्यवस्था में भागीदार बनने से भी वंचित किया जा रहा है। यह राज्य के युवाओं के साथ-साथ झारखण्ड एवं झारखण्डियों के साथ खिलवाड़ है।