Monday, May 6, 2024
spot_img
Homeझारखंडझामुमो का 43वां स्थापना दिवस आज, सीएम-गुरुजी पहुंचे दुमका

झामुमो का 43वां स्थापना दिवस आज, सीएम-गुरुजी पहुंचे दुमका

झामुमो का 43वां स्थापना दिवस बुधवार को है। गांधी मैदान दुमाक में मुख्य कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक होगा। कोरोना के कारण सीमित संख्या में कार्यकर्ता आमंत्रित किए गए हैं। इसमें भाग लेने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन (गुरुजी) दुमका पहुंचे। दोनों कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और झामुमो नीत सरकार की दो साल की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे।

इधर, 40 साल पहले झामुमो का स्थापना दिवस कैसे मनाया जाता था, इस पर शिकारीपाड़ा से छह बार विधायक रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता नलिन सोरेन ने यादें ताजा कीं। भास्कर से विशेष बातचीत में बताया कि चार दशक पहले ऐसी विकसित संचार व्यवस्था नहीं थी।

कार्यकर्ताओं को स्थापना दिवस में आमंत्रित करने के लिए संथाली परंपरा का सहारा लिया जाता था, जिसे ढरुअ कहा जाता है। इसके तहत एक लंबे डंडे में हरे पत्ते बांधकर हाट-बाजाराें में घुमाया जाता था। परिणाम यह हाेता था कि संथाल परगना के कोने-कोने से हजारों आदिवासी परंपरागत वेशभूषा में ढोल-मांदर और तीर-धनुष के साथ बिना किसी प्रचार के जुट जाते थे।

पुरानी जीप में तेल खत्म न हाे जाए, इसलिए कंटेनर में डीजल रखते थे

नलिन कहते हैं कि पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए गुरुजी एक पुरानी जीप से क्षेत्र भ्रमण करते थे। जीप में डीजल खत्म न हो जाए, इसलिए कंटेनर में डीजल भी साथ रखते थे। खजूर की लकड़ी की कूची बनाकर दीवार लेखन करते थे। वह खुद डेविड मुर्मू की बाइक के पीछे बैठकर ग्रामीणों से संपर्क करते थे। पहले स्थापना दिवस पर महाजनों के खिलाफ आंदोलन और अलग झारखंड की मांग तेज करने का एलान हुआ था।

1977 में पहले स्थापना दिवस पर हुआ था महाजनी प्रथा के विरुद्ध ऐलान

पाटी सुप्रीमो शिबू सोेरेन के खिजूरिया स्थित आवास पर बातचीत में नलिन सोरेन ने आगे बताया कि दो फरवरी 1977 से दुमका के एसपी काॅलेज में स्थापना दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। उस वक्त संसाधनों की घोर कमी थी। पूरे संथाल परगना में आवागमन की सुविधा नहीं थी। ऐसे में गुरुजी ने ग्रामीणों को सूचना व न्योता भेजने के लिए ढरुअ परंपरा का सहारा लिया। ढरुअ देखकर ग्रामीण पूछते थे कि कौन सा संदेशा है, तब उन्हें संदेश के बारे में जानकारी दी जाती थी। इसका परिणाम भी काफी बेहतर मिला। दूर -दूर से ग्रामीण स्थापना दिवस समारोह में पहुंचने लगे।

The Real Khabar

RELATED ARTICLES

Most Popular