11 जुलाई 1987। इस दिन दुनिया की जनसंख्या 5 अरब हो गई थी। पूरी दुनिया के लिए तेजी से बढ़ती आबादी चिंता का सबब थी। यूनाइटेड नेशंस ने बढ़ती आबादी को काबू करने और परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 11 जुलाई 1989 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में पहली बार World Population Day मनाया गया।
अगले साल यूनाइटेड नेशंस ने इस दिन को हर साल मनाने की घोषणा की और 1990 में 90 से ज्यादा देशों में World Population Day मनाया गया। तबसे हर साल दुनियाभर के अलग-अलग देश इस दिन को मनाते आ रहे हैं। हर साल अलग-अलग थीम पर इस दिन को मनाया जाता है।
दरअसल विश्व की जनसंख्या को 1 अरब तक पहुंचने में हजारों साल लगे थे। इसके बाद करीब 200 साल में ही ये 7 गुना तक बढ़ गई। इसके पीछे मेडिकल साइंस में सुधार होना, मृत्यु दर में कमी आना और जन्म दर बढ़ना जैसे कई कारण हैं।
आज दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी एशियाई देशों में है। जनसंख्या के लिहाज से चीन और भारत पहले और दूसरे नंबर पर हैं। Worldometer के मुताबिक भारत की आबादी 1.39 अरब है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर मिनट 25 बच्चे पैदा होते हैं। अगर इसी रफ्तार से हमारी आबादी बढ़ती रही तो आने वाले 10 साल में भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा।
हालांकि, जागरूकता अभियानों की वजह से जनसंख्या वृद्धि की दर को काफी हद तक कंट्रोल किया गया है।
1970 के दशक के शुरुआती सालों में जहां हर महिला के औसतन 4.5 बच्चे होते थे, वहीं 2015 में आंकड़ा 2.5 के औसत पर आ गया है। ये राहत भरा आंकड़ा जरूर है लेकिन हमें अपने प्रयासों को और बढ़ाने की जरूरत है।