Saturday, May 4, 2024
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चाइना की चालाकियों पर होगी प्रहार, साइबर वॉर के लिए भारत पूरी तरह है तैयार

भारतीय सशस्त्र बलों के खिलाफ बढ़ते साइबर हमलों के खतरे के मद्देनजर भारत सरकार कमर कसती दिख रही है। भारत में साइबर अटैक के खतरे को देखते हुए सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) भविष्य के युद्ध के लिए लेटेस्ट साइबर सुरक्षा तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के लिहाज से प्रशिक्षित करने के लिए 100 कर्मियों को अमेरिका भेजने की योजना बना रहा है। बता दें कि हाल ही में रिपोर्ट सामने आई थी कि चीन के साइबर जासूसों के निशाने पर भारत के रक्षा विभाग से और टेलिकॉम समेत कई सेक्टर्स थे।

साउथ ब्लॉक के अधिकारियों के मुताबिक, 2016 के साइबर फ्रेमवर्क और रक्षा सहयोग समझौते के तहत अमेरिका ने सिलिकॉन वैली में 100 सैन्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने की पेशकश की है, ताकि उन्हें साइबर युद्ध का मुकाबला करने और भविष्य की रक्षा और युद्ध में एआई की भूमिका का प्रत्यक्ष अनुभव दिया जा सके। बता दें कि साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, पीएमओ और एनएसए के ऑफिस हैं।

भारतीय सेना के पास एकीकृत मुख्यालय के तहत एक त्रि-सेवा रक्षा साइबर एजेंसी है। सरकार प्रस्तावित थिएटर कमांड को लड़ाई में बढ़त देने के लिए मध्य प्रदेश के भीतरी इलाकों में एक उचित साइबर कमांड स्थापित करने के पक्ष में है। प्रस्तावित साइबर कमांड सेना को भारत के विरोधियों से साइबर हमलों की चपेट में आने से बचाने के लिए तीनों सेवाओं की व्यक्तिगत क्षमताओं से मेल खाएगी। बता दें कि हाल ही में रिपोर्ट आई थी कि चीन ने भारत के कई एजेंसियों और कंपनियों पर साइबर अटैक किया था। 

कमान्ड का चार्टर यह सुनिश्चित करने के लिए भी होगा कि भारतीय सैन्य संचार सुरक्षित हैं और सिस्टम संवेदनशील सिलीगुड़ी कोर, तेजपुर कोर और तिब्बत का सामना करने वाली लद्दाख कोर सहित उत्तरी कमान जैसे अग्रिम संरचनाओं में किसी भी मैलवेयर से प्रभावित नहीं हैं। चुंबी घाटी में सिलीगुड़ी कोर ने पिछले एक दशक में मैलवेयर के माध्यम से न केवल सॉफ्टवेयर को प्रभावित करने के लिए बल्कि विरोधी को संवेदनशील दस्तावेज लीक करने के लिए भी साइबर हमलों को देखा है। बता दें कि सिलिगुड़ी कोर समेत ये कोर भारतीय सेना के अलग-अलग दल हैं।

हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीनी साइबर सैनिकों की एक संदिग्ध इकाई ने भारतीय दूरसंचार कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और कई रक्षा कॉन्ट्रैक्टर्स को निशाना बनाया है। एक साइबर थ्रेट्स इंटेलिजेंस कंपनी ने खुलासा करते हुए कहा था कि चीन की इन चालाकी वाले जासूसी ऑपरेशन्स के सबूत हैं और इन अभियानों से एक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक विशिष्ट इकाई से जुड़ा था। 

यूनाइटेड स्टेट्स के मुख्यालय के तहत आने वाले रिकॉर्डेड फ्यूचर की ओर से ये निष्कर्ष प्रकाशित की गई थी, जिसने इस साल की शुरुआत में बिजली और बंदरगाह क्षेत्रों में भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को टारगेट करने वाले निरंतर चीनी साइबर संचालन के साक्ष्य की सूचना दी थी। मार्च में उजागर हुई इस यूनिट को रेडइको कहा गया, जबकि नए समूह की पहचान रेडफॉक्सट्रोट के रूप में की गई है।

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