जम्मू के एयरफोर्स बेस पर ड्रोन के इस्तेमाल से हुए दो धमाकों के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तौयबा का हाथ होने के ठोस संकेत मिले हैं। शुरुआती जांच के मुताबिक आतंकियों का इरादा एयरबेस के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) टावर और वहां खड़े हेलिकॉप्टर को नुकसान पहुंचाना था। लेकिन दोनों धमाके लक्ष्य से करीब 40 फीट की दूरी पर हुए।
टॉप सोर्सेस के हवाले से खबर है कि दोनों बम करीब पांच किलो के थे, जिनमें आइईडी तकनीक से विस्फोट किया गया। अब तक की जांच के मुताबिक, मुख्य विस्फोटक के तौर पर आरडीएक्स और टीएनटी के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया। हालांकि इस तकनीक और मिश्रण को लेकर जांच जारी है। दोनों विस्फोट एक दूसरे से करीब 50 फीट की दूरी पर हुए। सूत्रों के मुताबिक ड्रोन अक्षांश-देशांतर (लॉन्गीट्यूड- लैटीट्यूट) तकनीक से ऑपरेट किया जा रहे थे और हवा के रुख और मौसम की वजह से अपने असली लक्ष्य से चूक गये।
टॉप सोर्सेस के हवाले से खबर है कि जम्मू एयरबेस से भारत-पाक सीमा की दूरी करीब 15 किलोमीटर है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि ड्रोन सीमा पार से भेजा गया होगा जो करीब डेढ़ किलोमीटर की उंचाई से उड़ता हुआ लक्ष्य तक पहुंचा। यह भी संभावना है कि इसे सीमा के भीतर से ही किसी गुप्त स्थान से भेजा गया हो। इसकी जांच जारी है। मुताबिक खास बात यह है कि विस्फोट के बाद ड्रोन का कहीं पता नहीं चला है।
रविवार को धमाके के बाद मामले की जांच के लिए NIA की एक टीम जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पहुंच गई थी और वो मामले की जांच कर रही है। साथ ही इस मामले की जांच NSG भी कर रही है। इस बीच दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट स्पेशल सेल की एक टीम जम्मू के लिए रवाना हो गई है। स्पेशल सेल की ये टीम ड्रोन धमाके मामले की जांच के लिए गई है। दिल्ली पर हमेशा आतंकी हमले का अलर्ट रहता है, इसलिए ड्रोन धमाके का तरीका समझने के लिए दिल्ली पुलिस के बड़े अफसरों ने ये टीम भेजी है।