Tuesday, April 30, 2024
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छठ पूजा की 4 महत्वपूर्ण परंपराएं, जिनके बगैर पूरी नहीं होती सूर्य आराधना

शुभम राज

छठ देवी को सूर्य देव की बहन बताया जाता है। लेकिन छठ व्रत कथा के अनुसार छठ देवी ब्रह्मा देव की मानसपुत्री बताई गई हैं। छठ देवी अपने परिचय में कहती हैं कि वह प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई हैं यही कारण है कि मुझे षष्ठी कहा जाता है। देवी कहती हैं यदि आप संतान प्राप्ति की कामना करते हैं तो मेरी विधिवत पूजा करें। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को करने का विधान बताया गया है।

पौराणिक ग्रंथों में इसे रामायण काल में भगवान श्री राम के अयोध्या आने के पश्चात माता सीता के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना करने से भी जोड़ा जाता है, महाभारत काल में कुंती द्वारा विवाह से पूर्व सूर्योपासना से पुत्र की प्राप्ति से भी इसे जोड़ा जाता है।

छठ पूजा के चार दिन

छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है :

छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय :

छठ पूजा का त्यौहार भले ही कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रती स्नान आदि कर नये वस्त्र धारण करते हैं और शाकाहारी भोजन लेते हैं। व्रती के भोजन करने के पश्चात ही घर के बाकि सदस्य भोजन करते हैं। छठ का पहला दिन व्रती भोजन में कद्दू भात का सेवन करते है|

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना :

कार्तिक शुक्ल पंचमी को पूरे दिन व्रत रखा जाता है व शाम को व्रती भोजन ग्रहण करते हैं। इसे खरना कहा जाता है। इस दिन अन्न व जल ग्रहण किये बिना उपवास किया जाता है। शाम को चावल व गुड़ से खीर बनाकर खाई जाती है। नमक व चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता। चावल का पिठ्ठा व घी लगी रोटी भी प्रसाद के रूप में वितरीत की जाती है।

षष्ठी के दिन यानी तीसरा दिन : छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। इसमें ठेकुआ विशेष होता है। कुछ स्थानों पर इसे टिकरी भी कहा जाता है। चावल के लड्डू भी बनाये जाते हैं। प्रसाद व फल लेकर बांस की टोकरी में सजाये जाते हैं। टोकरी की पूजा कर सभी व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिये तालाब, नदी या घाट आदि पर जाते हैं। स्नान कर डूबते सूर्य की आराधना की जाती है।

सप्तमी यानी आखरी दिन : इस दिन सुबह सूर्योदय के समय भी सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया को दोहराया जाता है। विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा जाता है। इस तरह छठ पूजा संपन्न की जाती है।

छठ पर्व सनातन धर्म में सबसे अहम् माना गया है। इस पर्व को करने वाले व्रती शुद्धता एवं साफ़ सफाई, भूल-चूक का ख़ास ख्याल रखते है। छठ पर्व आते ही लोगो में गजब का उत्साह देखने को पाया जाता है। लोग जो छठ व्रत नहीं करते है वैसे लोग व्रतियों की मदद कर अपनी अहम भूमिका निभाते है।

अंततः हम सब जानते है कि पिछले दो वर्षो से कोरोना का प्रकोप हमारे जीवन में दानव की तरह बैठा हुआ है, सभी छठ व्रतियों को अपना ख़ास ख्याल रखना होगा।

छठ पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।

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