Friday, April 26, 2024
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शुल्क की अपेक्षा निगम की सुविधाएं नगण्य -चैम्बर

राज्य सरकार द्वारा हाल ही में वाटर टैक्स में की गई अप्रत्याशित वृद्धि पर नाराजगी जताते हुए फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने नगर आयुक्त से इस वृद्धि को शिथिल करने की अपील की। यह कहा गया कि राजधानी में पेयजल की आपूर्ति और गुणवत्ता दोनों ही संतोषप्रद नहीं हैं। सरकार के इस निर्णय पर जब रांची नगर निगम ने स्वयं भी आपत्ति जताई है, ऐसे में किस आधार पर शुल्क में बढ़ोत्तरी का निर्णय लिया गया है? वही कानून प्रभावी हो जो सभी को स्वीकार्य हो। आपूर्ति व्यवस्था और गुणवत्ता में सुधार किये बगैर शुल्क में बढ़ोत्तरी अनावश्यक विवाद उत्पन्न करेगा जिसपर सरकार को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

चैम्बर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि पडोसी राज्यों में काफी न्यूनतम शुल्क पर शुद्ध पेयजल की नियमित आपूर्ति हो रही है, जबकि रांची में पेयजल की आपूर्ति व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। निगम को पहले व्यवस्था में सुधार पर सुनियोजित कार्रवाई करनी चाहिए न कि व्यवस्था के नाम पर शुल्क में वृद्धि। सरकार के इस निर्णय से रांची नगर निगम क्षेत्र के लोगों को डेढ़ से दो गुना अधिक वाटर टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा जिसका वर्तमान व्यवस्था में भुगतान कर पाना संभव नहीं है। उन्होंने अपर बाजार की वर्षों से जारी पार्किंग की समस्या पर भी चिंता जताई एवं कहा कि नगर निगम द्वारा चीजों को सुव्यवस्थित करने के बजाय सिर्फ जुर्माना वसूला जा रहा है जिससे समस्याओं का हल नहीं हो सकता। लोगों को जागरूक करने के लिए निगम द्वारा व्यवस्था विकसित की जाय, लोगों को पर्याप्त सुविधा दी जाय, उसके बाद यदि लोग नियमों का पालन नहीं करते तब जुर्माना लिया जाय।

सह सचिव विकास विजयवर्गीय ने कहा कि एक तरफ जहां नागरिक राजधानी में पार्किंग, सफाई की अव्यवस्था से त्रस्त हैं वहीं दूसरी ओर ट्रेड लाइसेंस की जटिलता, वाटर टैक्स में अप्रत्याशित वृद्धि, यूजर चार्ज इत्यादि की व्यवस्था से व्यापारी परेशान हैं। शहर में पार्किंग की समुचित व्यवस्था के लिए भी नगर निगम द्वारा कभी गंभीरता नहीं दिखाई गई, सुधार के नाम पर व्यापारियों से जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की जाती रही है। यही कारण है कि 21 वर्षों के बाद भी शहर का विकास अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हो सका है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा वाटर टैक्स में की गई अप्रत्याशित वृद्धि से भी लोग परेशान होंगे, जिसपर पुनर्विचार की आवश्यकता है।

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